हैदराबाद, 21 जून (भाषा) केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बी. संजय कुमार तेलंगाना में पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) शासन के दौरान की कथित अवैध फोन टैपिंग मामले में गवाह के तौर पर पुलिस के समक्ष अपना बयान दर्ज कराएंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, जांच अधिकारियों ने संजय कुमार से उनका बयान दर्ज करने के लिए समय मांगा है और वह जल्द ही अपने उपयुक्त समय से उन्हें अवगत कराएंगे।
संजय कुमार ने शनिवार को करीमनगर में संवाददाताओं से कहा कि वह जांच में अधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे।
न्यायाधीशों के भी फोन टैप किये जाने के आरोपों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
संजय कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने विपक्ष में रहने के दौरान फोन टैपिंग मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी।
उन्होंने याद दिलाया कि बीआरएस शासन के दौरान फोन टैपिंग का आरोप लगाने वाले वह पहले व्यक्ति थे।
उन्होंने दावा किया कि बीआरएस सरकार के दौरान फोन टैपिंग में शामिल अधिकारियों के इशारे पर उन्हें अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था। उस समय वह भाजपा की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष थे।
इससे पहले, तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष बी महेश कुमार गौड़ ने 17 जून को फोन टैपिंग मामले में गवाह के तौर पर पुलिस के समक्ष बयान दिया था।
गौड़ ने बीआरएस शासन के दौरान कथित तौर पर हुई अवैध फोन टैपिंग की निंदा की थी और कहा था कि इसमें शामिल सभी लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
अधिकारी वर्तमान में तेलंगाना के पूर्व विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) प्रमुख टी प्रभाकर राव से पूछताछ कर रहे हैं, जो कथित फोन टैपिंग मामले में मुख्य आरोपी हैं।
राव पर तत्कालीन सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं को लाभ पहुंचाने के लिए एसआईबी के भीतर एक निलंबित पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के नेतृत्व वाली ‘‘विशेष अभियान टीम’’ गठित करने का आरोप है।
एसआईबी के निलंबित डीएसपी उन चार पुलिस अधिकारियों में शामिल थे जिन्हें हैदराबाद पुलिस ने मार्च 2024 से विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से खुफिया जानकारी मिटाने और बीआरएस शासन के दौरान फोन टैपिंग किये जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।
भाषा योगेश सुभाष
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