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Saturday, June 21, 2025

जेसीबी पुरस्कार के बंद होने की चर्चा से लेखकों में चिंता

Newsजेसीबी पुरस्कार के बंद होने की चर्चा से लेखकों में चिंता

नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) साहित्य के क्षेत्र में प्रतिष्ठित जेसीबी साहित्य पुरस्कार बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के चुपचाप बंद हो गया है, जिससे लेखकों और प्रकाशकों सहित साहित्यिक समुदाय में चिंता पैदा हो गई है।

भारत में जेसीबी पुरस्कार के तहत सबसे ज्यादा रकम दी जाती है। पुरस्कार प्रदान करने वाली संस्था से जुड़े एक व्यक्ति ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ‘‘यह बंद हो गया है।’’

साहित्यिक पुरस्कार की स्थापना 2018 में ‘‘भारतीय लेखन का जश्न मनाने और दुनिया भर के पाठकों को समकालीन भारतीय साहित्य की सर्वोत्तम खोज में मदद करने” के लिए की गई थी।

पिछले साल 23 नवंबर को अंग्रेजी लेखक उपमन्यु चटर्जी को पुरस्कार देने के बाद जेसीबी प्राइज फाउंडेशन ने चुप्पी साध रखी है। इसकी आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट 27 नवंबर को इंस्टाग्राम पर अपलोड की गई थी, जिसमें चटर्जी को 25 लाख रुपये का पुरस्कार जीतने पर बधाई दी गई थी।

इस साल पुरस्कार के लिए प्रविष्टियां नहीं आमंत्रित की गईं। आम तौर पर मार्च के पहले सप्ताह के आसपास यह प्रक्रिया होती है।

मलयालम लेखक बेन्यामिन को 2018 में उनकी किताब ‘‘जैस्मीन डेज़’’ के लिए पहला पुरस्कार मिला था, जिसका अनुवाद शहनाज़ हबीब ने अंग्रेजी में किया था।

बेन्यामिन ने कहा कि यह खबर ‘‘बेहद निराशाजनक’’ है। ‘‘गोट डेज़’ के लेखक बेन्यामिन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जेसीबी पुरस्कार भारतीय साहित्य के लिए एक बहुत ही आशाजनक मान्यता थी- न केवल भारतीय अंग्रेजी लेखन, बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं के लिए भी। यह एक प्रतिष्ठित और प्रभावशाली पुरस्कार था जिसने भारतीय साहित्य को वैश्विक पाठकों तक पहुंचने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’

सात संस्करणों में, यह पुरस्कार पांच बार अनुवादित कथा साहित्य को दिया गया है।

वर्ष 2020 में, जयश्री कलाथिल द्वारा मलयालम से अनुवादित एस हरीश की ‘‘मुस्टैच’’ को यह पुरस्कार मिला। 2021 में फातिमा ई वी और नंदकुमार के द्वारा मलयामल से अनुवादित एम मुकुंदन की किताब ‘‘दिल्ली: ए सोलिलोक्यू’’ को यह पुरस्कार मिला।

वर्ष 2022 में यह पुरस्कार बरन फारूकी द्वारा अनुवादित उर्दू लेखक खालिद जावेद की ‘‘द पैराडाइज ऑफ फूड’’ को दिया गया, इसके बाद 2023 में तमिल लेखक पेरुमल मुरुगन की जननी कन्नन द्वारा अनुवादित ‘‘फायर बर्ड’’ को दिया गया।

मुरुगन ने कहा, ‘‘यह भारतीय भाषाओं के लिए बहुत बड़ी क्षति है। मलयालम अनुवादों ने तीन बार, तमिल ने एक बार और उर्दू ने भी पुरस्कार जीता है। यह वास्तव में निराशाजनक है।’’

वर्ष 2019 में यह पुरस्कार माधुरी विजय को ‘‘द फार फील्ड’’ के लिए दिया गया था।

लेखिका नमिता गोखले ने जेसीबी पुरस्कार द्वारा किए गए कार्य की सराहना करते हुए कहा कि यह संभव है कि वे ‘प्रारूप पर पुनर्विचार’ कर रहे हों।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसकी सच्चाई नहीं पता। शायद वे पुरस्कार के प्रारूप पर पुनर्विचार कर रहे हैं या साहित्यिक गतिविधि के किसी अन्य रूप की तलाश कर रहे हैं। लेकिन मैं जेसीबी साहित्य पुरस्कार द्वारा अतीत में अनुवाद को आगे बढ़ाने में किए गए उत्कृष्ट कार्य की सराहना करती हूं।’’

वेस्टलैंड बुक्स की प्रकाशक कार्तिका वीके ने कहा कि इस पुरस्कार ने ‘‘प्रकाशन पारिस्थितिकी तंत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर दुख हुआ कि यह बंद हो रहा है। हम केवल यह उम्मीद कर सकते हैं कि अन्य इस कमी को पूरा करने के लिए आगे आएंगे और लेखकों और अनुवादकों का समर्थन करने के लिए पुरस्कार, अनुदान प्रायोजित करेंगे।’’

पिछले साल पुरस्कार की घोषणा से पहले यह पुरस्कार विवादों में घिरा हुआ था, जब सौ से अधिक लेखकों, कवियों और प्रकाशकों ने एक खुला पत्र लिखकर ब्रिटिश बुलडोजर निर्माता और साहित्य पुरस्कार के आयोजक जेसीबी की निंदा की थी, जिसमें कथित तौर पर भारत और फलस्तीन में गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन को ‘‘नष्ट करने” का आरोप लगाया गया था।

बेन्यामिन ने कहा कि आलोचना ‘मुद्दे से भटक गई।’ उन्होंने कहा, ‘‘…इसमें उपकरण को दोष नहीं दिया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें दोष दिया जाना चाहिए जो इसका दुरुपयोग करना चुनते हैं। निर्माण के लिए भी उन्हीं मशीन का उपयोग किया जाता है। मैं खुद को इस तरह के तर्क से सहमत नहीं कर सकता, खासकर तब जब पुरस्कार का खुद पर इतना सकारात्मक प्रभाव पड़ा हो। मुझे उम्मीद है कि वे पुनर्विचार करेंगे और भारतीय साहित्य के लिए पुरस्कार को फिर से शुरू करेंगे।’’

पुरस्कार के लिए प्रविष्टियों की प्रक्रिया, 10 पुस्तकों की लम्बी सूची, पांच पुस्तकों की संक्षिप्त सूची और अंत में विजेता का चयन किया गया।

‘शॉर्टलिस्ट’ किए गए प्रत्येक लेखक को एक लाख रुपए का पुरस्कार दिया गया, और यदि ‘शॉर्टलिस्ट’ की गई रचना अनुवाद थी, तो अनुवादक को 50,000 रुपए दिए गए। यदि अनुवादित रचना पुरस्कार जीतती है, तो लेखक को 25 लाख रुपए और अनुवादक को 10 लाख रुपए की पुरस्कार राशि मिलती है।

भाषा आशीष रंजन

रंजन

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