नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) वरिष्ठ पत्रकार और लेखक मनाश घोष की नई किताब ‘मुजीब्स ब्लंडर्स: द पावर्स एंड द प्लॉट बिहाइंड हिज किलिंग’ में लिखा गया है कि शेख हसीना को यदि सत्ता में वापसी करनी है तो उन्हें पहले अपनी पार्टी अवामी लीग में सुधार करना होगा और भ्रष्ट नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाना होगा।
इस किताब में बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान के कई प्रमुख निर्णयों की आलोचनात्मक समीक्षा की गई है।
किताब में लेखक ने तर्क दिया कि साल 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन ने जिस तरह से हसीना को पद से हटने पर मजबूर कर दिया तथा कार्यवाहक सरकार द्वारा मुजीब को ‘राष्ट्रपिता’ के सम्मान को हटाया, वह उस पटकथा का अनुसरण करता है जो पहली बार 1975 में तैयार की गई थी। बंगबंधु की 1975 में उनके परिवार के कई सदस्यों के साथ हत्या कर दी गई थी।
नियोगी बुक्स द्वारा छापी गई यह किताब घोष की 2021 में प्रकाशित हुई किताब ‘बांग्लादेश वॉर: रिपोर्ट फ्रॉम ग्राउंड ज़ीरो’ का अगला संस्करण है, जिसमें उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के अपने ग्राउंड रिपोर्टिंग के अनुभव को साझा किया था।
लेखक ने अपनी किताब में लिखा है कि राजनीतिक अशांति और बढ़ेगी तथा अस्थिरता बांग्लादेश को परेशान करती रहेगी क्योंकि इस तरह के और भी हिंसक शासन परिवर्तन होने की संभावना बनी रहेगी।
उन्होंने लिखा, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि शेख हसीना की अवामी लीग कोई राजनीतिक रूप से कमजोर पार्टी नहीं है और यह कोई पराजित ताकत नहीं है तथा यह देश की मुख्यधारा की राजनीति में अपनी उचित उपस्थिति को पुनः स्थापित करने का प्रयास करेगी।’’
घोष के अनुसार, जो लोग हसीना के सत्ता से बाहर होने पर बहुत खुश हैं और उसके बाद के घटनाक्रम को उनके लिए अंत मान रहे हैं, वे बहुत ज्यादा अहंकारी हैं।
लेखक ने कहा, ‘‘वे उनके अदम्य साहस से वाकिफ़ नहीं हैं, जिनके बल पर उन्होंने पहले भी कई बार और इससे भी बुरी परिस्थितियों से वापसी की है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जिन्होंने अपने परिवार के लगभग सभी सदस्यों को एक ही रात में सैन्य तख्तापलट में खोया है और अब तक 28 बार हत्या के प्रयासों का सामना कर चुकी हैं, उनके लिए नवीनतम घटनाक्रम को सिर्फ एक झटका ही कहा जा सकता है।’’
लेखक ने कहा कि हसीना और उनकी 80 साल पुरानी पार्टी अवामी लीग कोई आसान जीत नहीं है क्योंकि ‘‘दोनों के पास लोगों और बंगाली राष्ट्र के लिए सेवा और बलिदान की एक समृद्ध परंपरा और विरासत है।’’
भाषा
प्रीति रंजन
रंजन