नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) भूजल पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से दिल्ली सरकार निर्माण कार्यों के लिए केवल शोधित जल का इस्तेमाल करने की नीति लाने की योजना बना रही है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इस सप्ताह की शुरुआत में यहां आयोजित एक बैठक में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के शीर्ष अधिकारियों को इस विचार से अवगत कराया गया।
दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम निर्माण कार्यों के लिए शोधित जल का उपयोग करने की नीति पर काम कर रहे हैं, जिसकी शुरुआत डीजेबी परियोजनाओं से होगी। हम देश के अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन करेंगे जहां ऐसी नीति मौजूद है।’’
दिल्ली चारों ओर से जमीन से घिरा हुआ शहर है और यह अपनी जल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए यमुना एवं भूजल निष्कर्षण पर बहुत अधिक निर्भर है।
आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘यदि निर्माण कार्य में उपयोग किया जाने वाला पानी मानक के अनुरूप नहीं है तो लोहे की छड़ों और कंक्रीट में समस्याएं आती हैं। अगर खराब गुणवत्ता वाला पानी इस्तेमाल किया जाता है तो इमारत में दरारें आ जाती हैं, जिससे इमारत की मियाद कम हो जाती है। इसलिए इन सभी तकनीकी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है।’’
हालांकि, केंद्रीय भूजल बोर्ड की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली ने जितना जल पुनर्भरण किया, उससे अधिक पानी निकाला।
जल विशेषज्ञ अंकित श्रीवास्ताव ने कहा, ‘‘दिल्ली में आमतौर पर यह चलन है कि अधिकतर निर्माण कंपनियां जमीन से पानी निकालती हैं और फिर पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए निर्माण स्थल पर आरओ इकाइयां लगाने के बाद इसे निर्माण के लिए उपयुक्त बनाती हैं। गुरुग्राम और पुणे जैसे कुछ शहरों में निर्माण कार्य के लिए केवल एसटीपी-शोधित जल का उपयोग करने की नीति है।’’
भाषा रवि कांत नेत्रपाल
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