कोच्चि, 21 जून (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि पुलिस को जांच की आड़ में संदिग्ध व्यक्तियों अथवा कुख्यात अपराधियों के दरवाजे खटखटाने या रात में उनके घरों में घुसने का कोई अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने यह फैसला एक व्यक्ति की याचिका पर सुनाया, जिस पर आरोप है कि उसने पुलिस अधिकारियों को तब अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका, जब पुलिस ने उसे कुख्यात अपराधियों से जुड़ी जांच के दौरान देर रात घर से बाहर आने को कहा था।
याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और उससे संबंधित सभी कार्यवाही को रद्द कर दिया और कहा कि ‘‘जांच की आड़ में, पुलिस कुख्यात अपराधियों के दरवाजे नहीं खटखटा सकती या उनके घरों में जबरन घुस नहीं सकती।’’
अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि घर की अवधारणा ‘‘आवास के रूप में अपनी भौतिक अभिव्यक्ति से परे है और भावनात्मक एवं सामाजिक आयामों के एक समृद्ध ताने-बाने को समेटे हुए है।’’
इसने कहा, ‘‘दूसरे शब्दों में, हर आदमी का घर उसका महल या मंदिर होता है। किसी व्यक्ति के जीवन के अधिकार में गरिमा के साथ जीने का अधिकार शामिल है और गरिमा से समझौता नहीं किया जा सकता।’’
भाषा शफीक नेत्रपाल
नेत्रपाल