नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल के दौरान कुल 48 अध्यादेश जारी किए थे जिसमें आंतरिक सुरक्षा कानून अधिनियम (मीसा) में पांच संशोधन शामिल है।
पचास वर्ष पहले 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया जो 21 महीने तक जारी रहा। इस दौरान सरकार ने कई बार संविधान में बदलाव किए जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनावों को न्यायालयों की जांच से परे रखना तथा संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़ना शामिल था।
कानून में संशोधनों ने केंद्र सरकार को ज्यादा शक्तियां दीं और न्यायपालिका की शक्तियां कम हो गईं।
आपातकाल लगने के कुछ दिन बाद ही 29 जून 1975 को सरकार ने मीसा में बदलाव करने के लिए पहला अध्यादेश जारी किया। आपातकाल के दौरान मीसा (संशोधन) अध्यादेश को चार बार और लागू किया गया तथा संसद द्वारा उसे मंजूरी दी गई।
अगले ही दिन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने एक अध्यादेश भारत रक्षा अधिनियम (संशोधन) लागू किया, जिससे सरकार को देश में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज्यादा शक्तियां मिल गईं।
आपातकाल के दौरान संसद के संक्षिप्त सत्र आयोजित किए गए। कांग्रेस पार्टी के पास पूर्ण बहुमत था और विपक्ष के कई नेता जेल में थे इसलिए कई अध्यादेशों को कानून बनाने के लिए आसानी से संसद से मंजूरी मिली।
लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. आचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘आपातकाल के दौरान संसद के सत्र सामान्य से कम थे, जिनमें से अधिकांश विधेयक पारित करने और नए कानूनों को मंजूरी देने के वास्ते बुलाए गए थे।’’
आपातकाल के दौरान जारी किया गया एक अन्य प्रमुख अध्यादेश चुनाव विवाद (प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष) अध्यादेश था। यह अध्यादेश तीन फरवरी 1977 को लागू किया गया, सिर्फ एक महीने बाद ही आपातकाल हटा दिया गया।
किसी चुनाव के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति देने के बजाय, उसने ऐसे हाई-प्रोफाइल मामलों से निपटने के लिए एक प्राधिकरण बनाया।
अध्यादेश को कानून में बदल दिया गया और बाद की सरकार ने इसे निरस्त कर दिया। आपातकाल लागू होने के बाद 1975 में 26 अध्यादेश जारी किए गए थे जबकि 1976 में 16 अध्यादेश लाए गए थे।
आपातकाल हटाए जाने से पहले 1977 में सरकार ने छह अध्यादेश लागू किए।
संसद के कामकाज का जिक्र करते हुए, आचार्य ने कहा कि उस समय ज्यादातर विपक्षी नेता जेल में थे, इसलिए सरकार के लिए संसद में बिल पास करवाना बहुत आसान हो गया था।
उन्होंने कहा कि 42वें संविधान (संशोधन) अधिनियम ने संविधान में ‘‘आमूलचूल’’ परिवर्तन किए।
अगली सरकार द्वारा पारित 44वें संविधान (संशोधन) अधिनियम ने 42वें संशोधन द्वारा लाए गए कई परिवर्तनों को पलट दिया।
भाषा खारी शोभना
शोभना