(जे.के. वर्मा)
बीजिंग, 22 जून (भाषा) चीन के आधिकारिक मीडिया ने रविवार को कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु केंद्रो पर किए गए हमले ने पश्चिम एशिया में पहले से ही नाजुक स्थिति को और अधिक नरक बना दिया है। हालांकि बीजिंग ने क्षेत्र में व्याप्त तनाव पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है।
इस बीच, यहां विशेषज्ञों ने दावा किया कि हमलों में इस्तेमाल किए गए अमेरिकी बंकर-बस्टर बम जमीन के अंदर छिपे परमाणु संयंत्रों को नष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकते।
अमेरिका ने रविवार सुबह ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नतांज परमाणु केद्रों पर हमला कर इन्हें नष्ट कर दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी सेना ने तीन परमाणु केंद्रों पर ‘‘बहुत सफल’’ हमला किया है।
मीडिया में जारी खबरों के अनुसार, ईरान के परमाणु केंद्रों पर किए गए अमेरिकी हमलों में बी2 स्टील्थ बमवर्षक का इस्तेमाल किया गया है।
चीन ने ईरान पर किए गए अमेरिकी हमलों के संबंध में अभी तक आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। वहीं, चीन के सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया कि अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर किया गया एकतरफा सैन्य हमला एक लापरवाही भरा कदम है तथा यह अंतरराष्ट्रीय कानून का खुले तौर पर उल्लंघन करना है।
चीन ने ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध को रोकने के लिए शनिवार को युद्ध विराम का आह्वान किया था।
इसमें कहा गया कि इस तरह की एकतरफा कार्रवाई नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करती है तथा इससे मनमानी करने का चलन शुरू हो सकता है।
संपादकीय में कहा गया कि अमेरिकी कार्रवाई ने स्थिति को और अधिक नरक की ओर धकेल दिया है।
चीन के विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी हमले का वास्तविक असर अभी भी अस्पष्ट है तथा यह भी हो सकता है कि ये हमले ईरान के भूमिगत परमाणु केंद्रों को पूरी तरह नष्ट करने के लिए पर्याप्त न हों।
चीन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के सहायक शोध अध्येता ली जिक्सिन ने देश के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ से कहा कि फोर्दो का परमाणु संयंत्र लगभग 100 मीटर जमीन के नीचे स्थित है जिससे इसे एक या दो हमलों से पूरी तरह नष्ट करना बहुत मुश्किल है, यहां तक कि बंकर-बस्टर बमों का उपयोग करके भी इसे पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता।
सैन्य मामलों के विशेषज्ञ झांग जुनशे ने भी इसी तरह का विचार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से किए गए पहले हमले ईरान के भूमिगत परमाणु केंद्रों को नष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं रहे होंगे।
उदाहरण के लिए, फोर्दों परमाणु केंद्र ठोस सतह से 90 मीटर नीचे स्थित है, जो इसे अत्यधिक प्रतिरोधी बनाता है। हालांकि इजराइल इसे एक प्रमुख लक्ष्य मानता है, लेकिन उसके पास इस पर प्रभावी ढंग से हमला करने के लिए साधन नहीं हैं।
झांग ने कहा कि अमेरिका हमलों के लिए 30,000 पाउंड के जीबीयू-57 बंकर बस्टर्स से लैस बी-2 बमवर्षक विमानों का इस्तेमाल करता है और इसके बारे में माना जाता है कि ये केवल 65 मीटर तक ही घुस सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सिद्धांततः, क्रम में दो बमों का प्रयोग आवश्यक हो सकता है, लेकिन इस रणनीति का कभी सार्वजनिक रूप से परीक्षण नहीं किया गया है इसलिए प्रारंभिक हमले की सफलता अनिश्चित बनी हुई है।
ईरानी अधिकारी द्वारा बीबीसी को दिए गए इस बयान कि ईरान को ‘‘कोई बड़ा झटका नहीं लगा है क्योंकि केंद्र से पहले ही सामग्री को निकाल लिया गया था’’ का उल्लेख करते हुए कहा कि, ‘‘इससे यह और भी स्पष्ट हो जाता है कि अमेरिकी सेना के लिए ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को पूरी तरह से नष्ट करना कितना कठिन है।’’
भाषा प्रीति नरेश
नरेश