(माणिक गुप्ता)
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) सत्य की खोज में राजसी ठाठ-बाट और अपने परिवार को त्यागने वाले सिद्धार्थ गौतम को दुनिया बुद्ध के रूप में जानती है। उनकी कहानी इतिहास और करोड़ों लोगों की आध्यात्मिक स्मृतियों में अमिट रूप से दर्ज है। लेकिन उनकी पत्नी और नवजात बेटे की मां यशोधरा का क्या?, जिन्हें वह पीछे छोड़कर चले गए थे?
सुनीता पंत बंसल की किताब “द इलूजन ऑफ इलूजन्स: द स्टोरी ऑफ यशोधरा, बुद्धाज वाइफ” इसी पहलू पर प्रकाश डालती है। नयी किताब उस महिला के साहस और मौन दृढ़ता की कहानी बताती है, जिसे केवल “सिद्धार्थ की छोड़ी गयी पत्नी” के रूप में याद किया जाता है।
लेकिन एक अनकही कहानी को आवाज देने का प्रयास कर रही लेखिका ने कहा कि उनकी कहानी कई परतों में गुथी एक जटिल गाथा है।
बंसल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “यशोधरा की कहानी भी इतिहास में लंबे और पीड़ादायक उपेक्षा के उस क्रम का हिस्सा बन जाती है, जहां महान पुरुष व्यक्तित्वों के सबसे निकट रही स्त्रियों को या तो भुला दिया गया, सहज कर दिखाया गया, या फिर केवल उन पुरुषों के संदर्भ में ही याद किया गया जिनसे वे जुड़ी थीं…।”
उन्होंने कहा, “इतिहास में उन लोगों पर प्रकाश डाला जाता है जो चले गए, जिन्होंने काम किया, जिन्होंने उपदेश दिया, जिन्होंने विजय प्राप्त की और शायद ही कभी उन पर जो ठहरे रहे, सहते रहे, मनन करते रहे या चुपचाप स्वयं को बदलते रहे। आध्यात्मिक विमर्शों में भी ध्यान प्रायः त्याग को ही साहस की परम अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करने पर रहा।”
बंसल ने यशोदरा को एक मां, एक साधिका और अंततः एक आध्यात्मिक सिद्ध महिला के रूप में वर्णित किया, जिन्हें हाशिये पर डाल दिया गया।
बंसल की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों में “एवरीडे गीता”, “ऑन द फुटस्टेप्स ऑफ बुद्धा” और “कृष्णा: द मैनेजमेंट गुरू” शामिल हैं।
“इलूजन ऑफ इलूजन्स” के पीछे का विचार “यशोधरा को छाया से बाहर निकालना है, बुद्ध की कहानी के एक फुटनोट के रूप में नहीं बल्कि अपने आप में एक प्रकाशमान उपस्थिति के रूप में”।
इसका परिणाम यशोधरा की अपनी आवाज में 211 पृष्ठों की कहानी है, जो एक प्रबुद्ध बुद्ध के साथ उनकी मुलाकात से शुरू होती है और उनके समक्ष निर्वाण प्राप्त करने के साथ समाप्त होती है।
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शुभम प्रशांत
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