नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एअर इंडिया 182 ‘कनिष्क’ विमान में बम विस्फोट में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देते हुए सोमवार को कहा कि यह ‘‘आतंकवाद के सबसे बुरे कृत्यों में से एक’’ था और यह इसका कठोर अनुस्मारक है कि दुनिया को आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के प्रति बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति क्यों अपनानी चाहिए।
मॉन्ट्रियल-नयी दिल्ली की एअर इंडिया ‘कनिष्क’ उड़ान संख्या 182 में 23 जून 1985 को लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतरने से 45 मिनट पहले विस्फोट हो गया था, जिससे विमान में सवार सभी 329 व्यक्ति मारे गए थे। इनमें से अधिकतर भारतीय मूल के कनाडाई थे।
जयशंकर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘एअर इंडिया 182 ‘कनिष्क’ बम विस्फोट की 40वीं बरसी पर, हम आतंकवाद के सबसे बुरे कृत्यों में से एक में जान गंवाने वाले 329 लोगों को याद करते हैं। यह एक कठोर अनुस्मारक है कि दुनिया को आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ के प्रति बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति क्यों अपनानी चाहिए।’’
विमान के यात्रियों और चालक दल के सदस्यों के परिजन हर वर्ष पीड़ितों के लिए बनाए गए विभिन्न स्मारकों पर एकत्रित होते हैं।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि उन्होंने आयरलैंड के कॉर्क में अहाकिस्ता स्मारक पर कनिष्क बम विस्फोट पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस दौरान अपने संबोधन के दृश्य भी साझा किए।
उन्होंने कहा, ‘‘आयरलैंड के कॉर्क में अहाकिस्ता स्मारक पर एअर इंडिया कनिष्क विमान में हुए बम विस्फोट के पीड़ितों को आयरिश प्रधानमंत्री माइकल मार्टिन, कनाडाई लोक सुरक्षा मंत्री गैरी आनंदसांगरी और भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ श्रद्धांजलि अर्पित की।’’
उन्होंने एक दिन पहले ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था कि वह ब्रिटेन के हीथ्रो से कॉर्क जा रहे हैं और अहाकिस्ता स्मारक पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
उन्होंने कहा था, ‘‘हीथ्रो से कॉर्क के रास्ते में… 1985 में एअर इंडिया कनिष्क उड़ान 182 में बीच रास्ते में किया गया नृशंस बम विस्फोट विमानन इतिहास में आतंक के सबसे अमानवीय कृत्यों में से एक है, जिसमें आयरलैंड तट पर 329 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘मैंने सितंबर 2019 में टोरंटो के हंबर बे पार्क में कनिष्क स्मारक पर पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी थी, जहां मैंने कई पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात भी की थी, जिन्होंने अपना दर्द और पीड़ा साझा की थी।’’
भाषा अमित मनीषा
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