चंडीगढ़, 23 जून (भाषा) ईरान-इजराइल संघर्ष बढ़ने के साथ ही हरियाणा के चावल निर्यातक जहाज की आवाजाही में बड़ी रुकावट और भुगतान में देरी के संकट से जूझ रहे हैं। ईरान को देश के बासमती चावल निर्यात में हरियाणा के निर्यातकों का हिस्सा 30 प्रतिशत है।
जहां करनाल बासमती निर्यात का मुख्य केंद्र है, वहीं कैथल और सोनीपत भी विदेशी मांग में अपना योगदान करते हैं।
चावल निर्यातक संघ की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुशील जैन ने कहा, ‘‘ईरान-इजराइल संघर्ष ने व्यापार को प्रभावित किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश से ईरान को करीब 10 लाख टन बासमती चावल निर्यात किया जाता है, जिसमें हरियाणा की हिस्सेदारी करीब 30-35 प्रतिशत है।’’ उन्होंने कहा कि ईरान के लिए करीब एक लाख टन बासमती चावल की खेप बंदरगाहों पर फंसी हुई है।
जैन ने कहा कि इसके अलावा, भारतीय निर्यातकों द्वारा ईरान को निर्यात किए गए लगभग दो लाख टन चावल के लिए 1,500 करोड़ रुपये से 2,000 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान भी संघर्ष के कारण अटका हुआ है।
उन्होंने कहा कि संघर्ष बढ़ने से भारतीय बाजार पर असर पड़ने वाला है, जहां पहले से ही कीमतों में कुछ गिरावट देखी जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्यातकों के सामने एक और समस्या युद्ध के दौरान जहाज के लिए बीमा कवच की कमी है, जो हमारे लिए जोखिम बढ़ाता है।’’
सऊदी अरब के बाद ईरान, भारत का दूसरा सबसे बड़ा बासमती चावल बाजार है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान ईरान को लगभग 10 लाख टन इस सुगंधित अनाज का निर्यात किया।
भारत ने 2024-25 के दौरान लगभग 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिसकी मांग मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और पश्चिम एशियाई बाजारों से प्रेरित थी। अन्य प्रमुख खरीदारों में इराक, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका शामिल हैं।
भाषा राजेश राजेश अजय
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