नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (क्लैट-पीजी) उम्मीदवार द्वारा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के समूह (कंसोर्टियम) की ओर से ‘बहुत अधिक’ काउंसलिंग शुल्क लिये जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सोमवार को तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता ने कंसोर्टियम, भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), केंद्र और अन्य से दो जुलाई तक जवाब देने को कहा।
याचिकाकर्ता अभ्यर्थी का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अधिवक्ता ने दलील दी कि उनका मुवक्किल 20 जून को दूसरे चरण की काउंसलिंग में भाग नहीं ले सका, क्योंकि उसे ‘अग्रिम भुगतान’ के रूप में 20,000 रुपये जमा कराने थे और उसने पहले चरण के लिए वापसी योग्य काउंसलिंग शुल्क के रूप में 30,000 रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया था।
अधिवक्ता ने मुवक्किल की ओर से कहा, ‘‘ मैं प्रति चरण भागीदारी के लिए 20,000 रुपये का भुगतान किए बिना भाग नहीं ले सकता… पूरे देश में यह एकमात्र परीक्षा है जिसमें इतनी बड़ी राशि ली जाती है। सैकड़ों छात्र काउंसलिंग में भाग नहीं ले पा रहे हैं। मैं दूसरे चरण में शामिल नहीं हो पाया और तीसरा चरण चार जुलाई को है।’’
वकील ने अपने मुवक्किल को 20,000 रुपये का भुगतान किए बिना अगले दौर में भाग लेने के लिए अंतरिम राहत देने का अनुरोध किया तथा ‘‘इतनी अधिक फीस’’ वसूलने को भेदभावपूर्ण और असंगत बताया।
भाषा धीरज अविनाश
अविनाश