नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) चक्रवात चेतावनी प्रणालियां काफी हद तक अधिक सटीक हुई हैं और तूफान आने से 48 घंटे के भीतर इसके तट से टकराने के समय का पूर्वानुमान जताने में 65 फीसदी तक का सुधार हुआ है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के 11 वर्ष पूरे होने पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने कहा कि भारी वर्षा, कोहरा और भीषण गर्मी जैसी अन्य मौसम की प्रतिकूल घटनाओं के पूर्वानुमान में पिछले पांच वर्षों में 40 प्रतिशत सुधार हुआ है।
मानसून पूर्वानुमान में भी बड़ा बदलाव आया है, राष्ट्रीय मानसून मिशन के अंतर्गत सांख्यिकीय से भौतिकी-आधारित मॉडलों की ओर रुख किया गया है, जिससे मौसमी पूर्वानुमानों की सटीकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
डॉ. रविचंद्रन ने 2014 से 2025 तक मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘ये सुधार पिछले दशक के दौरान अनुसंधान बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी में निरंतर निवेश का परिणाम हैं।’
प्रमुख उपलब्धियों में मई 2025 में भारत पूर्वानुमान प्रणाली की शुरुआत शामिल है। यह एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन (छह किमी) वैश्विक मौसम मॉडल है, जिसका उद्देश्य मौसम पूर्वानुमान में भारत की क्षमता को मजबूत करना है।
सरकार ने सितंबर 2024 में भारत को ‘मौसम के प्रति तैयार और जलवायु स्मार्ट’ बनाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी पहल ‘मिशन मौसम’ भी शुरू की।
डॉ. रविचंद्रन ने कहा कि ‘डीप ओशन मिशन’ से समुद्र में अन्वेषण और समुद्री संसाधनों के सतत दोहन का मार्ग प्रशस्त होगा।
उन्होंने कहा, ‘हमने हिंद महासागर में दो सक्रिय और दो निष्क्रिय ‘हाइड्रोथर्मल वेंट’ की भी खोज की है और जैव विविधता सर्वेक्षणों में 23 नई प्रजातियों की पहचान की है- जिससे समुद्री विज्ञान में भारत की स्थिति मजबूत हुई है।’
उन्होंने कहा कि भारत की सुनामी चेतावनी क्षमताएं भी उन्नत हुई हैं।
डॉ. रविचंद्रन ने कहा, ‘पहले हम हिंद महासागर की घटनाओं तक ही सीमित थे, लेकिन अब हम किसी भी वैश्विक महासागरीय भूकंप के लिए 10 मिनट के भीतर सुनामी की चेतावनी जारी कर सकते हैं। ये चेतावनियां हिंद महासागर के किनारे स्थित 25 देशों के साथ साझा की जाती हैं।’
भाषा नोमान सुरेश
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