जम्मू, 23 जून (भाषा) जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने सोमवार को नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा में उर्दू को अनिवार्य विषय के रुप में शामिल किए जाने को लेकर युवाओं में फैली बेचैनी खत्म करने के लिए सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल कांग्रेस ने कहा कि सभी आधिकारिक भाषाओं को समान दर्जा मिलना चाहिए और किसी भी उम्मीदवार का इस आधार पर नुकसान नहीं होना चाहिए।
विवाद उस समय शुरू हुआ जब जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसबीबी) ने इस महीने की शुरुआत में नायब तहसीलदार के 75 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया, जिसमें उर्दू का ज्ञान अनिवार्य बताया गया। इस फैसले के खिलाफ जम्मू में विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए और इसे वापस लेने की मांग की।
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने यहां जारी एक बयान में कहा, “नायब तहसीलदार परीक्षा में उर्दू विषय को अनिवार्य रुप से शामिल किए जाने को लेकर युवाओं में फैली बेचैनी पर कांग्रेस चिंता व्यक्त करती है और सरकार की ओर से इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने में हो रही देरी पर सवाल उठाती है, खासकर तब जब इस तरह के मामलों में पूर्व में उदाहरण मौजूद हैं।”
उन्होंने कहा कि प्रशासन को बिना देर किए इस शर्त में संशोधन करना चाहिए, ताकि युवाओं में फैली बेचैनी को खत्म किया जा सके।
इस बीच, जम्मू आधारित युवा संगठन ‘युवा राजपूत सभा’ ने शहर के मध्य में स्थित तवी पुल को जाम कर दिया और फैसले को वापस लेने की मांग की।
संगठन के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि उर्दू को अनिवार्य रुप से शामिल करना जम्मू के योग्य उम्मीदवारों को बाहर करने की एक सोची-समझी साजिश है, क्योंकि यहां के छात्र आमतौर पर हिंदी और अन्य भाषाएं पढ़ते हैं।
उन्होंने चेतावनी दी, “अगर अधिसूचना वापस नहीं ली गयी तो हम अपने आंदोलन को तेज करेंगे। क्षेत्रीय भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
प्रवक्ता ने क्षेत्र के नामी खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दिए जाने में हो रही देरी पर भी सवाल उठाया।
भाषा राखी अविनाश
अविनाश