मुंबई, 23 जून (भाषा) महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने सोमवार को स्पष्ट किया कि राज्य में केवल मराठी भाषा अनिवार्य है, हिंदी नहीं।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में तीसरी भाषा पढ़ाने को लेकर जारी विवाद ‘‘अनुचित और अतार्किक’’ है।
शेलार ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि पहली से पांचवीं तक की कक्षा में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाना शुरू नहीं किया गया है, जैसा कि कुछ लोगों द्वारा दावा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, हमारी सरकार ने पांचवीं से आठवीं कक्षा तक हिंदी पढ़ाने की अनिवार्यता को हटा दिया है। इसके बजाय, हमने इसे (हिंदी को) कई अन्य भाषाओं के साथ वैकल्पिक रखा है। इसलिए, इस मुद्दे पर जारी चर्चा अवास्तविक, अनुचित और अतार्किक है।’’
भाजपा की मुंबई इकाई के अध्यक्ष शेलार ने कहा, ‘‘हम मराठी भाषा के कट्टर समर्थक हैं और विद्यार्थियों के हित के लिए भी उतने ही प्रतिबद्ध हैं।’’
राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह एक संशोधित आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि हिंदी को “आम तौर पर” पहली से पांचवीं कक्षा तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में विद्यार्थियों को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा।
सरकार ने कहा था कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी, लेकिन हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा का अध्ययन करने के लिए स्कूल में प्रति कक्षा कम से कम 20 छात्रों की सहमति अनिवार्य होगी।
हिंदी को लेकर जारी बहस पर टिप्पणी करते हुए भाजपा के मंत्री ने कहा,‘‘लोकतंत्र में गलतफहमी से उत्पन्न आलोचना स्वीकार्य है। कुछ लोग विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं, जो उनका अधिकार है।’’
शेलार ने राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को शामिल करने के बारे में ‘‘गलत धारणाओं और झूठे विमर्श’’ के खिलाफ चेतावनी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा हमेशा से मराठी और छात्रों के हितों की प्रबल समर्थक रही है। महाराष्ट्र में केवल मराठी को अनिवार्य बनाया गया है। कोई अन्य भाषा नहीं थोपी गई है। पहले पांचवीं से आठवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य थी, लेकिन अब यह अनिवार्यता हटा दी गई है। हिंदी अब पहली से पांचवीं कक्षा तक केवल वैकल्पिक तीसरी भाषा के रूप में उपलब्ध है और चयन में लचीलापन है।’’
भाषा राजकुमार खारी
खारी