जयपुर, 24 जून (भाषा) अलवर स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व के महत्वपूर्ण बाघ आवास (सीटीएच) की सीमा को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव को राज्य वन्यजीव मण्डल की बैठक में मंजूरी दे दी गई। इस प्रस्ताव को अब राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के सामने रखा जाएगा। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
इस प्रस्ताव में मानवीय गतिविधियों वाले कुछ पहाड़ी इलाकों को अलग करते हुए सीटीएच की सीमाओं को संशोधित करना और होने वाले नुकसान की भरपाई ‘बफर जोन’ से करना शामिल है। इस प्रस्ताव से इस साल की शुरुआत में उच्च्तम न्यायालय के आदेश के बाद बंद कर दी गईं, कई संगमरमर और डोलोमाइट खदानों को फायदा होने की संभावना है।
राजस्थान के वन अधिकारी अरिजीत बनर्जी ने कहा, ‘सरिस्का टाइगर रिजर्व के सीटीएच की सीमा को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव सोमवार को वन्यजीव मंडल की बैठक में रखा गया और इसे पारित कर दिया गया।’
हालांकि, उन्होंने उन खदानों की संख्या पर कोई टिप्पणी नहीं की जिन्हें सीमा के युक्तिकरण से लाभ होगा। ये खदानें खोह, पालपुर, तिलवाड़, गोरधनपुरा, मल्लाना, डूंडपुरी, जयसिंहपुरा और कलवार गांवों में और उसके आसपास हैं।
प्रस्ताव के अनुसार सीटीएच से बाहर रखे गए इलाकों – मुख्य रूप से मानवीय गतिविधि से प्रभावित पहाड़ी क्षेत्र – को बाघ अभयारण्य के बफर जोन में जोड़ा जाएगा। ये क्षेत्र अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा नहीं बनेंगे। इस बदलाव से स्थानीय समुदाय और बाघ अभयारण्य प्रबंधन के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
उच्चतम न्यायालय ने बाघ अभयारण्य के अंदर पैदल और निजी वाहनों से लोगों के बेरोक-टोक प्रवेश के मुद्दों के बारे में स्वत: संज्ञान लिया था। 2024 में न्यायालय ने केंद्रीय अधिकारसंपन्न समिति (सीईसी) को इस मामले पर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। जुलाई 2024 में सीईसी की रिपोर्ट के बाद, राजस्थान सरकार ने इसकी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और उच्च न्यायालय ने राज्य को एक साल के भीतर युक्तिकरण कार्रवाई पूरा करने का निर्देश दिया।
राज्य मंडल में पारित प्रस्ताव अब राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति (एससी-एनबीडब्ल्यूएल) के समक्ष रखा जाएगा, जिसकी बैठक 26 जून को देहरादून में होने वाली है।
हालांकि वन विभाग के कुछ अधिकारी सीमा के युक्तिकरण का विरोध भी कर रहे हैं। इन्होंने नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा कि परिधीय पहाड़ियों को बाहर करने से बाघ अभयारण्य का भीतरी संपर्क एक तरह से टूट जाएगा। उन्होंने कहा कि सरिस्का टाइगर रिजर्व की पहाड़ियां अनावश्यक नहीं बल्कि बाघों की आवाजाही के लिए महत्वपूर्ण हैं।
राजस्थान ने 2007-08 में सरिस्का के लिए सीटीएच की सीमा निर्धारित की थी, लेकिन जमीन संबंधी कई विवादों के कारण अधिसूचना लंबित रही। फिलहाल राज्य के वन मंत्री संजय शर्मा और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव दोनों अलवर का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसके चलते विवादास्पद मुद्दों को निपटाने पहल की गई है।
भाषा पृथ्वी नरेश मनीषा
मनीषा