29.2 C
Jaipur
Wednesday, June 25, 2025

ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेना, छूट का आधार नहीं : न्यायालय

Newsऑपरेशन सिंदूर में भाग लेना, छूट का आधार नहीं : न्यायालय

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को दहेज के लिए पत्नी की हत्या के मामले के एक दोषी को आत्मसमर्पण की छूट देने से इनकार करते हुए मंगलवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने से आपको घर पर अत्याचार करने की छूट नहीं मिल जाती है।

न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने व्यक्ति की अपील को खारिज करते हुए उसकी सजा को बरकरार रखा था।

शीर्ष अदालत ने शुरू में व्यक्ति को छूट देने में अनिच्छा व्यक्त की।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि व्यक्ति ने ऑपरेशन सिंदूर में भाग लिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 20 वर्ष से मैं राष्ट्रीय राइफल्स में ब्लैक कैट कमांडो के रूप में तैनात हूं।’’

तब पीठ ने कहा, ‘‘इससे आपको घर पर अत्याचार करने की छूट नहीं मिल जाती है। यह दर्शाता है कि आप शारीरिक रूप से कितने फिट हैं, और आप अकेले किस तरह से अपनी पत्नी को मार सकते थे, अपनी पत्नी का गला घोंट सकते थे।’’

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था, इसलिए उसे छूट देने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं है।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले में नोटिस जारी किया और प्रतिवादियों से छह सप्ताह में जवाब मांगा।

जुलाई 2004 में अमृतसर की एक निचली अदालत ने याचिकाकर्ता बलजिंदर सिंह को उसकी शादी के दो साल के भीतर अपनी पत्नी की मौत के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304-बी (दहेज हत्या) के तहत दोषी ठहराया था।

पुलिस ने आरोप लगाया कि महिला को दहेज के लिए उसके ससुराल में उत्पीड़न और क्रूरता का सामना करना पड़ा।

भाषा वैभव नरेश

नरेश

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles