रोबिना (ऑस्ट्रेलिया), 24 जून (द कन्वरसेशन) कारें भले ही आधुनिक जमाने की हों, लेकिन गति रोग (मोशन सिकनेस) नया नहीं है। 2,000 साल से भी ज़्यादा वक्त पहले, चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने लिखा था, “समुद्र में नौकायन से यह साबित होता है कि गति शरीर में विकार लाती है”। दरअसल, मतली शब्द ग्रीक शब्द ‘नौस’ से निकला है, जिसका मतलब है जहाज़।
चाहे आप नौका, कार, हवाई जहाज में हों या रोलरकोस्टर की सवारी कर रहे हों, गति रोग (जिसे यात्रा संबंधी बीमारी या समुद्री बीमारी भी कहा जाता है) से आपको उबकाई, उल्टी, पसीना आना, पीलापन, मतली, चक्कर और थकान महसूस हो सकती है।
कुछ लोगों को टेलीविज़न शो में चक्कर आने वाले दृश्य देखना या चलने के बारे में सोचना चक्कर आने जैसा महसूस हो सकता है। वीडियो गेम खेलना या ‘वर्चुअल रियलिटी हेडसेट’ का उपयोग करना भी गति रोग का कारण बन सकता है। इस मामले में, इसे ‘साइबरसिकनेस’ कहा जाता है।
लेकिन ऐसा क्यों होता है? और इसका असर हर किसी पर क्यों नहीं पड़ता?
गति रोग क्या है?
गति रोग असली गति या महसूस की गई काल्पनिक गति की प्रतिक्रिया में हो सकता है।
हम गति रोग(मोशन सिकनेस) के पीछे के वास्तविक तंत्र को नहीं समझ पाए हैं, हालांकि इसके बारे में विभिन्न परिकल्पनाएं हैं।
सबसे ज़्यादा स्वीकार्य सिद्धांत यह है कि हमारा दिमाग यह जानना पसंद करता है कि हमारे आस-पास क्या हो रहा है। अगर हमारा शरीर हिल रहा है, लेकिन हमारा दिमाग यह नहीं समझ पा रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है, तो इससे कुछ आंतरिक भ्रम पैदा होता है।
हमारे मस्तिष्क के भीतर स्थित ‘वेस्टिबुलर सिस्टम’संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और इसमें कान में संवेदी (सेंसरी) अंग भी शामिल हैं। जब आप कहीं जा रहे होते हैं (उदाहरण के लिए, कार में) तो इसे ऐसा करने में परेशानी होती है और यह हमारे पूरे शरीर में संकेत भेजता है जिससे हमें चक्कर आने लगता है।
इस सिद्धांत का समर्थन करते हुए, जिन लोगों के आंतरिक कान के कुछ हिस्सों को क्षति पहुंची है, गति रोग से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
गति रोग कुछ लोगों को क्यों प्रभावित करता है और दूसरों को क्यों नहीं?
बहुत ज़्यादा तेज़ हरकत करने से लगभग हर कोई गति रोग से पीड़ित हो सकता है। लेकिन कुछ लोग ज़्यादा संवेदनशील होते हैं।
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में गति रोग का अनुभव अधिक होता है। इस बात के प्रमाण हैं कि हार्मोनल उतार-चढ़ाव संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं। मिसाल के तौर पर गर्भावस्था या मासिक धर्म चक्र के कुछ चरणों के दौरान यह स्थिति हो सकती है।
कुछ अन्य स्थितियां, जैसे चक्कर आना (वर्टिगो) और माइग्रेन, भी लोगों में गति रोग होने की संभावना को बढ़ा देती हैं।
कार में चालक सामान्यतः गति का नियंत्रण अपने हाथ में रखता है, और इसलिए उसका मस्तिष्क गति संबंधी गतिविधियों (जैसे कि मुड़ना) का अनुमान लगा सकता है, जिसके कारण यात्रियों की तुलना में उसे गति संबंधी परेशानी कम होती है।
गति रोग आमतौर पर धीमी, ऊपर-नीचे और बाएं से दाएं हरकतों से शुरू होता है। गति जितनी अधिक स्पष्ट होगी, हमारे बीमार होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
हाल की रिपोर्ट से पता चला है कि इलेक्ट्रिक वाहन गति रोग को और बदतर बनाते हैं।
गति रोग में क्या मदद करता है?
लक्षणों को नियंत्रित करने के तरीके हैं, जैसे कि खराब मौसम में यात्रा करने से बचना, खिड़की से बाहर देखना और किसी स्थिर बिंदु (जैसे उड़ान के दौरान हवाई जहाज़ का पंख) या दूर किसी अचल वस्तु (जैसे क्षितिज) पर ध्यान केंद्रित करना। इससे आपके मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विरोधाभासी संकेत कम हो जाते हैं।
इससे भी मदद मिल सकती है:
पढ़ने से बचें, या मोबाइल फोन का उपयोग न करें। आगे की सीट पर बैठें। (यात्री बनने के बजाय) गाड़ी चलाएं। ध्यानपूर्वक सांस लेने का अभ्यास करें। सुखद संगीत सुनें।
दवाइयां मदद कर सकती हैं। आपका डॉक्टर या फार्मासिस्ट आपको बिना डॉक्टर की पर्ची के मिलने वाली कुछ दवाइयां सुझा सकते हैं, जैसे कि एंटीहिस्टामिन्स, जो लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
कुछ लोगों को वैकल्पिक इलाज से भी लाभ होता है, जैसे अदरक, उल्टी से राहत देने वाले कलाई पर पहनने वाले बैंड।
हालांकि, इन घरेलू या वैकल्पिक उपायों को पूरी तरह से समर्थन देने के लिए हमारे पास अब तक पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।
द कन्वरसेशन
नोमान नरेश
नरेश