29.2 C
Jaipur
Wednesday, June 25, 2025

न्यायमूर्ति वर्मा के घर से बेहिसाब नकदी बरामद होने पर प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई :संसदीय समिति

Newsन्यायमूर्ति वर्मा के घर से बेहिसाब नकदी बरामद होने पर प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई :संसदीय समिति

नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) मंगलवार को संसदीय समिति की बैठक में कई सांसदों ने पूछा कि यहां एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आवास से बेहिसाबी नकदी बरामद होने के मामले में कोई प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई और समिति ने न्याय विभाग से इस मामले पर एक विस्तृत नोट तैयार करने को कहा। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सांसदों ने न्यायाधीशों के लिए एक आचार संहिता की भी मांग की तथा कहा कि उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद पांच वर्ष की अवधि तक कोई सरकारी कार्यभार नहीं लेना चाहिए।

कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी संसदीय समिति की बैठक के दौरान विभिन्न दलों के सांसदों ने इस मुद्दे को उठाया तथा विधि एवं न्याय मंत्रालय से कई प्रश्न पूछे कि न्यायपालिका से संबंधित उठाए गए मामलों में वह क्या कर रहा है।

सूत्रों ने बताया कि न्याय विभाग के सचिव, जिन्होंने उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए आचार संहिता और न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद कार्यभार संभालने के मुद्दों से संबंधित ‘न्यायिक प्रक्रियाएं और उनमें सुधार’ पर प्रस्तुति दी थी, को उठाए गए मुद्दों पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने और समिति की अगली बैठक में इसे प्रस्तुत करने के लिए कहा।

उन्होंने कहा कि सदस्यों ने न्यायाधीशों की नैतिकता और आचार संहिता पर विभिन्न मुद्दों और चिंताओं को संबोधित करने वाले एक व्यापक विधेयक की भी मांग की, जो बैठक के दौरान उनके द्वारा उठाए गए थे।

सांसदों ने जानना चाहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से बेहिसाब नकदी की बरामदगी के मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई और मांग की कि एक आचार संहिता लागू की जानी चाहिए।

कुछ सांसदों ने यह भी पूछा कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए अब तक कोई प्रस्ताव क्यों नहीं लाया गया?

सूत्रों ने कहा कि कुछ लोगों ने मांग की है कि न्याय निष्पक्ष होना चाहिए क्योंकि एक सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार के एक छोटे से मामले पर अपनी नौकरी खो सकता है, लेकिन बेहिसाब नकदी की बरामदगी के बाद भी न्यायपालिका के एक वरिष्ठ सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है।

कई दलों के सांसदों ने यह भी मांग की कि सरकार को अब तक संबंधित न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रस्ताव लाना चाहिए था, खासकर तब जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायाधीशों की समिति ने नकदी की बरामदगी की बात को सही पाया है।

नकदी बरामद होने के बाद न्यायमूर्ति वर्मा को उनकी मूल अदालत – इलाहाबाद उच्च न्यायालय – में वापस भेज दिया गया।

उन्होंने उनके खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया है।

सांसदों ने न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्तियों पर भी विचार-विमर्श किया और कहा कि उन्हें सेवानिवृत्ति के पांच वर्ष बाद तक ऐसी नियुक्तियां नहीं मिलनी चाहिए।

कुछ सांसदों ने यह भी कहा कि पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद भारत के राष्ट्रपति द्वारा सांसद या किसी अन्य पद पर नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए।

राज्यसभा की इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सदस्य बृजलाल हैं और इसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (जो एक मनोनीत सांसद हैं), पूर्व कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर रे और कल्याण बनर्जी, कांग्रेस के विवेक तन्खा और द्रमुक के पी. विल्सन और ए. राजा प्रमुख सदस्य हैं।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई मंगलवार की बैठक में शामिल नहीं हुए।

भाषा प्रशांत नरेश

नरेश

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles