नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) दिल्ली में 10 साल से अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन नहीं देने की प्रस्तावित नीति का लगभग 44 प्रतिशत कार मालिकों ने विरोध किया है। यह जानकारी एक सर्वेक्षण में सामने आई है।
यह नीति राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के उद्देश्य से बनाई गई है और एक जुलाई 2025 से लागू की जाएगी। इसके तहत दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर तय समय सीमा से अधिक पुराने वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा।
लोकलसर्किल्स द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि जिन कार मालिकों ने नीति का विरोध किया, उनका तर्क है कि उनके वाहन अब भी अच्छी स्थिति में हैं। सात प्रतिशत लोगों ने कोई स्पष्ट राय नहीं दी।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्युएम) ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। ईंधन आपूर्ति पर निगरानी के लिए पेट्रोल पंपों पर कैमरे लगाए जा रहे हैं।
हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि जब तक सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह दुरुस्त नहीं होता, तब तक यह कदम प्रदूषण कम करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। दिल्ली की मेट्रो व्यवस्था के बावजूद, बहुत से नागरिकों को अब भी आवागमन में दिक्कत होती है।
सर्वेक्षण के अनुसार, कई वाहन मालिकों ने यह भी कहा कि उन्होंने डीजल वाहनों के पंजीकरण के लिए 15 वर्षों की फीस अदा की थी, लेकिन अब उन्हें 10 वर्षों के बाद ही वाहन चलाने से रोका जा रहा है।
दिल्ली के 11 जिलों के 25,000 से अधिक कार मालिकों से राय ली गईं। इनमें से 62 प्रतिशत ने कहा कि वे अपने पुराने वाहन अन्य राज्यों में बेच देंगे या ‘सेकंड-हैंड’ डीलरों को सौंप देंगे, जबकि 22 प्रतिशत ने वैकल्पिक उपाय अपनाने की बात कही जैसे नोएडा या गुरुग्राम में ईंधन भरवाना या दूसरे वाहन से ईंधन निकालकर इस्तेमाल करना।
इस नियम के आने वाले समय में दिल्ली के बाहर भी लागू किए जाने की संभावना है। गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और सोनीपत में यह एक नवंबर 2025 से और अन्य एनसीआर जिलों में अप्रैल 2026 से प्रभावी हो सकता है।
भाषा राखी अविनाश
अविनाश