नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का कोकिंग कोयले का उत्पादन मई में 8.7 प्रतिशत घटकर 45.3 लाख टन रहा है।
हालांकि, सरकार आयात पर निर्भरता कम करने के लिए उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
पिछले साल मई में सीआईएल का कोकिंग कोयले का उत्पादन 49.6 लाख टन था।
अपने ‘मिशन कोकिंग कोल’ के तहत सरकार का लक्ष्य 2029-30 तक घरेलू कोकिंग कोयला उत्पादन को बढ़ाकर 14 करोड़ टन करने का है, जिससे इस्पात क्षेत्र के लिए आयात पर निर्भरता कम हो सके।
कोकिंग कोयला (धातुकर्म कोयला) इस्पात उत्पादन के लिए जरूरी है।
सरकार के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-मई की अवधि में भी कंपनी का कोकिंग कोयले का उत्पादन 3.4 प्रतिशत घटकर 93.6 लाख टन रह गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 96.9 लाख टन था।
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) सहित सीआईएल की अनुषंगी कंपनियां कोकिंग कोयले का उत्पादन करती हैं।
बीसीसीएल विशेष रूप से कोकिंग कोयले के उत्पादन पर केंद्रित इकाई है।
घरेलू कोयला उत्पादन में सीआईएल की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है।
सरकार ने घरेलू कोकिंग कोयले के उपयोग को बढ़ाने, ऊर्जा दक्षता में सुधार लाने और घरेलू इस्पात क्षेत्र को कॉर्बन उत्सर्जन से मुक्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं। कोयला कंपनियां और इस्पात उद्योग, कोयले की राख की मात्रा को कम करने और इसे इस्पात उद्योग में उपयोग के उपयुक्त बनाने के लिए घरेलू कोयला धुलाई क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
घरेलू कोकिंग कोयले का उपयोग बढ़ाने के लिए इस्पात संयंत्र में ‘स्टैम्प चार्ज्ड कोक ओवन’ बैटरी का भी उपयोग किया जा रहा है।
भाषा अनुराग अजय
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