नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) हिंदी फिल्म के दिग्गज अभिनेता देव आनंद ने अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में लिखा है कि जब उन्होंने युवा कांग्रेस और इसके नेता संजय गांधी के पक्ष में बोलने का ‘‘जोरदार और मुखरता से’’ विरोध किया तो उनकी फिल्मों को टेलीविजन पर दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया और सरकारी मीडिया पर उनके नाम का उल्लेख करने पर भी रोक लगा दी गई थी।
अभिनेता ने साल 2007 में लिखी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में आपातकाल की अवधि तथा उसके बाद के महीनों का विस्तार से वर्णन किया है।
आज आपातकाल को 50 साल पूरे हो गए हैं।
फिल्म ‘बाजी’, ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘गाइड’ और ‘ज्वेल थीफ’ जैसी फिल्मों के लिए मशहूर अभिनेता बताते हैं कि उनकी परेशानियां तब शुरू हुईं जब ‘कांग्रेस की युवा शाखा की एक बेहद आकर्षक युवती’ ने उन्हें संजय गांधी के नेतृत्व में आयोजित एक युवा रैली में शामिल होने के लिए कहा था।
दिल्ली में आयोजित इस रैली में अभिनेता को पार्टी के सभी बड़े लोगों के अलावा अपने साथी दिलीप कुमार भी मिले।
देव आनंद ने अपनी किताब में लिखा, ‘‘यह साफ तौर पर एक सुनियोजित रणनीति प्रतीत होती थी कि संजय गांधी को जनता के बीच स्वीकार्य करवाया जाए और वह भी ऐसे समय में जब कानून का शासन, निष्पक्षता और लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली के सभी मानकों को दबा दिया गया था।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘आपातकाल केवल इस मकसद से लगाया गया था कि सत्ताधारी पार्टी सत्ता में बनी रहे और उस देश पर अपनी पकड़ बनाए रखे जो देश कभी विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाता था।’’
देव आनंद का 88 वर्ष की आयु में साल 2011 में निधन हो गया था।
उन्होंने किताब में लिखा था कि इस रैली के बाद अभिनेताओं से टेलीविजन पर युवा कांग्रेस और उसके नेता के बारे में कुछ शब्द कहने के लिए कहा गया था।
अभिनेता ने कहा, ‘‘दिलीप भी आपातकाल के समर्थन में किसी भी तरह के प्रचार कार्यक्रम में जाने से हिचक रहे थे, लेकिन मैंने इस सुझाव का जोरदार और मुखर तरीके से विरोध किया, जिसका नतीजा यह हुआ कि न केवल मेरी सभी फ़िल्मों को टेलीविज़न पर दिखाने पर पाबंदी लगा दी गई बल्कि किसी भी सरकारी मीडिया में मेरे नाम का उल्लेख या संदर्भ देना भी मना कर दिया गया। ठीक वैसे ही जैसे किशोर कुमार के साथ किया गया था। उन्होंने भी उनके एक कार्यक्रम में जाकर गाने से इनकार कर दिया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस तानाशाहीपूर्ण कृत्य से मेरी अंतरात्मा ने विद्रोह कर दिया।’’
इसके बाद देवानंद ने दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्री को फोन करके उनसे मिलने का समय मांगा और विरोध जताया।
बाद में आपातकाल हटने पर जब जनता सरकार बनी तो कुछ ही सालों के भीतर देवानंद का उससे भी मोह भंग हो गया। और यहीं से उनके दिमाग में अपनी खुद की पार्टी बनाने का विचार आया जिसे ‘नेशनल पार्टी आफ इंडिया’ नाम दिया गया।
लेकिन पार्टी सदस्यों का शुरूआती उत्साह जल्द ही ठंडा हो गया और देवानंद ने इस शो पर परदा गिराने का फैसला किया।
भाषा प्रीति नरेश
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