29.3 C
Jaipur
Thursday, June 26, 2025

प्रधानमंत्री ने आपातकाल को बताया ‘‘काला अध्याय’’ और संविधान की भावना का हनन, कांग्रेस ने किया पलटवार

Newsप्रधानमंत्री ने आपातकाल को बताया ‘‘काला अध्याय’’ और संविधान की भावना का हनन, कांग्रेस ने किया पलटवार

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में आपातकाल लगाए जाने के 50 वर्ष पूरा होने के मौके पर बुधवार को कहा कि यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के ‘‘सबसे काले अध्यायों’’ में से एक था और तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ‘‘लोकतंत्र को बंदी बना लिया’’ था।

मोदी ने यह भी कहा कि आपातकाल के दौरान जिस तरह से संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया, उसे कोई भी भारतीय कभी नहीं भूलेगा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रमुख सहयोगी जनता दल (यू) के शीर्ष नेताओं ने कांग्रेस आपातकाल को घेरा तो मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि पिछले 11 वर्षो से देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ लगा हुआ है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपातकाल का विरोध करने वाले लोगों के बलिदान का स्मरण और सम्मानित करने का संकल्प लिया। मंत्रिमंडल ने आपातकाल का विरोध करने वालों को श्रद्धांजलि देने के लिए कुछ क्षणों का मौन रखा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा, जिनके संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकार छीने गए और जिन्हें अकल्पनीय यातनाओं का सामना करना पड़ा।

प्रस्ताव में कहा गया, “ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उन अनगिनत व्यक्तियों के बलिदान को स्मरण और सम्मानित करने का संकल्प लिया, जिन्होंने आपातकाल और भारतीय संविधान की भावना को कुचलने के प्रयासों का साहसपूर्वक विरोध किया। यह दमनचक्र 1974 में नवनिर्माण आंदोलन और संपूर्ण क्रांति अभियान को बलपूर्वक कुचलने के प्रयासों से शुरू हुआ था।”

आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कई पोस्ट कर मोदी ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के सबसे अंधकारमय अध्याय में से एक है।

उन्होंने कहा कि आपातकाल में संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को दबा दिया गया और बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा लग रहा था जैसे उस समय सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था।’’

मोदी सरकार ने पिछले वर्ष घोषणा की थी कि आपातकाल की बरसी को ‘‘संविधान हत्या दिवस’’ ​​के रूप में मनाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि 42वें संशोधन में संविधान में व्यापक परिवर्तन किए गए जो आपातकाल लगाने वाली कांग्रेस सरकार की चालों का एक प्रमुख उदाहरण है, जिसे जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाद में पलट दिया था।

आपातकाल और उस दौरान के अपने अनुभवों पर एक पुस्तक के विमोचन से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह अवधि उनके लिए सीख देने वाली थी।

लोकतंत्र के आदर्शों के लिए मोदी के संघर्ष को रेखांकित करने वाली किताब ‘द इमरजेंसी डायरीज-ईयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ का प्रकाशन ब्लूक्राफ्ट ने किया है।

मोदी ने कहा कि यह किताब आपातकाल के दौरान की उनकी यात्रा को बयां करती है और उस समय की कई स्मृतियों को ताजा करती है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का परिचायक था।

शाह ने यह बात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संदर्भ में कही।

इंदिरा गांधी सरकार ने 25 जून 1975 को आपातकाल लागू किया था। आपातकाल के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देते हुए शाह ने कहा कि यह दिन सभी को याद दिलाता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे उखाड़ फेंकने की ताकत रखती है।

गृह मंत्री ने कहा कि ‘आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था।

उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान देशवासियों ने जो पीड़ा और यातना सही, उसे नयी पीढ़ी जान सके, इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ का नाम दिया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी के हमले को लेकर उन पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्ष से देश में ‘‘अघोषित आपातकाल’’ है तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मोदी सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का नाटक कर रही है।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कारण ही आज संविधान संकट में है।

उन्होंने दावा किया, ‘‘भाजपा हमारे देशव्यापी ‘संविधान बचाओ आंदोलन’ से घबरा गई है, इसीलिए आज वे लोग फिर से आपातकाल की बात कर रहे हैं।’’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि जो लोग अपने शासन में नाकामयाब रहे और जिनकी खुद की सरकार में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक बदहाली चरम पर है, वे आज लोगों का ध्यान भटका रहे हैं।’’

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने दावा किया कि देश अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहा है, क्योंकि ‘‘संघ परिवार की सरकार’’ संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रही है।

भाषा हक हक माधव

माधव

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles