पटना, 25 जून (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रमुख सहयोगी अशोक चौधरी ने बुधवार को कहा कि राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने उन्हें सहायक प्रोफेसर के पद के लिए चयनित किया है।
जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री 57 वर्षीय चौधरी ने पांच साल पहले इस पद के लिए आवेदन किया था। उनका चयन अनुसूचित जाति कोटे से हुआ है।
जद(यू) नेता ने कहा कि वह राजनीति नहीं छोड़ेंगे और सहायक प्रोफेसर के तौर पर कोई वेतन नहीं लेंगे।
अशोक चौधरी ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मेरे पिता ने मुझे राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि मैं राजनीति में एक मजबूत आधार तैयार करूं। यही वजह है कि राजनीति में आने से पहले मैंने मगध विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री हासिल की थी।’’
उल्लेखनीय है कि अशोक चौधरी के दिवंगत पिता महावीर चौधरी 1980 के दशक में बिहार में कांग्रेस के शासन के दौरान मंत्री थे। उनकी बेटी शांभवी समस्तीपुर से लोक जनशक्ति (रामविलास) की मौजूदा सांसद हैं।
अशोक चौधरी ने सहायक प्रोफेसर के पद पर चयन को लेकर कहा, ‘‘राजनीति में रहते हुए भी मुझमें अकादमिक रुचि बनी रही। मेरे कई शोध पत्र प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। कुछ वर्ष पहले, मुझे हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा स्वतंत्र भारत में अनुसूचित जाति की महिलाओं पर एक शोध पत्र पढ़ने के लिए आमंत्रित किया गया था, जो मेरे डॉक्टरेट थीसिस का विषय भी था। इसलिए जब 2020 में पद की भर्ती निकली, तो मैंने आवेदन करने का फैसला किया। कल मुझे पता चला कि मैं भाग्यशाली उम्मीदवारों में से एक था।’’
इस बीच, कांग्रेस ने चौधरी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। लेकिन अशोक चौधरी आरएसएस कोटे से 58 साल की उम्र में प्रोफेसर बन गए।’’
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