लखनऊ, 25 जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द जोड़ना भारत की आत्मा पर कुठाराघात था।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने बुधवार को आपातकाल की 50वीं बरसी ‘संविधान हत्या दिवस’ पर लोकभवन में आयोजित ‘भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय’ विषयक संगोष्ठी में यह बात कही।
उन्होंने इस दौरान कहा, “कांग्रेस को आपातकाल के लिए दलितों, वंचितों एवं पूरे देशवासियों से माफी मांगनी चाहिए। बाबा साहब आंबेडकर ने अपनी लेखनी के माध्यम से जिन दलितों एवं वंचितों को अधिकार दिलाया था, कांग्रेस ने उनकी आवाज को दबाने का कार्य किया।”
एक बयान के मुताबिक, उन्होंने इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों एवं उनके परिवार के सदस्यों को ‘कैशलेस’ उपचार की सुविधा की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी हो या राष्ट्रीय जनता दल (राजद) दोनों दलों ने ‘संविधान हत्या दिवस’ पर न तो कोई बयान जारी किया और न ही सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट किया।
योगी ने कहा कि इन दोनों दलों के वरिष्ठ नेता संविधान का गला घोंटने के कांग्रेस के कृत्य के खिलाफ थे, कांग्रेस की तानाशाहीपूर्ण कार्यवाही के विरोध में आंदोलनरत थे लेकिन आज वहीं लोग अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस के सामने नाक रगड़ते दिखाई पड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि ये लोग लोकतंत्र और संविधान की दुहाई देते हैं लेकिन संविधान का गला घोंटने वालों व बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का अपमान करने वालों को अपने गले का हार भी बनाते हैं।
योगी ने कहा कि इन दलों का यह दोहरा चरित्र लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और राजद जैसी परिवारवादी पार्टियों को संविधान की दुहाई देने का कोई अधिकार नहीं है।
योगी ने आरोप लगाया कि इन पार्टियों को जब भी अवसर मिला इन्होंने लोकतंत्र का गला घोंटने का कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि आज का दिन उन लोगों के चेहरों को बेनकाब करने का अवसर प्रदान करता है, जिन लोगों ने लोकतंत्र की आड़ में भारत के मूल्यों एवं आदर्शों को अपने स्वार्थ के लिए बलि चढ़ाने का कुत्सित प्रयास किया है।
योगी ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी, राजद एवं उनके सहयोगी दल उसी मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “25 जून 1975 को कांग्रेस ने विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के अधिकारों को बंधक बना लिया था। ‘सेंसरशिप’ के माध्यम से मीडिया का गला घोंटने का कार्य किया था। उस समय भी बहुत सारे लोग लोकतंत्र के लिए एवं भारत के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य कर रहे थे। एक लाख से अधिक लोकतंत्र सेनानी गिरफ्तार हुए थे। लोकतंत्र को बचाने के लिए समाज के प्रत्येक तबके के व्यक्ति ने लड़ाई लड़ी।”
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए 25 जून को किया गया पाप कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
वित्त एवं ससंदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि तत्कालिक सरकार ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाए रखने के लिए पूरे देश को जेल बना दिया था।
उन्होंने कहा कि संविधान में प्रदत्त अधिकारों की रक्षा के लिए लोकतंत्र सेनानियों ने जो यातनाएं एवं अत्याचार झेला है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
वहीं विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने बरेली जेल के अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपनी निरंकुश सत्ता का वर्चस्व बरकरार रखने के लिए आपातकाल जैसा दमनकारी निर्णय लिया, जिसके खिलाफ आम जनता ने भी सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
भाषा जफर जितेंद्र
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