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Thursday, June 26, 2025

महाराष्ट्र में यूरिया, डीएपी की कमी से बुवाई का संकट

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छत्रपति संभाजीनगर, 25 जून (भाषा) महाराष्ट्र के किसान यूरिया और डाइअमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कमी का सामना कर रहे हैं। ये खेती में काम आने वाले दो महत्वपूर्ण उर्वरक हैं। इससे चालू मौसम में बुवाई प्रक्रिया में बाधा आ रही है। विभिन्न अंशधारकों ने बुधवार को यह प्रतिक्रिया व्यक्त की।

डीलरों ने कहा कि सरकार को प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए उर्वरकों का आवंटित स्टॉक उपलब्ध कराना चाहिए। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र को खरीफ (जून से सितंबर) मौसम के लिए 15.52 लाख टन यूरिया आवंटित किया गया है, लेकिन इसे अबतक केवल 5.20 लाख टन यूरिया प्राप्त हुआ है। आवंटित डीएपी 4.60 लाख टन है, लेकिन अब तक उपलब्ध कराया गया स्टॉक केवल 1.26 लाख टन ही है।

राज्य को जो स्टॉक मिलना चाहिए था, उसकी तुलना में जटिल उर्वरकों की आपूर्ति अधिशेष (113 प्रतिशत) मात्रा में है। कुल 18 लाख टन आवंटन के मुकाबले राज्य को 8.34 लाख टन प्राप्त हुआ है, जो चालू सत्र के लिए अपेक्षित आपूर्ति से अधिक है। उन्होंने कहा कि किसानों को इन उर्वरकों का उपयोग करने के लिए कहा गया है।

जटिल उर्वरकों में दो या तीन प्राथमिक पौध पोषक तत्व होते हैं, जिनमें से दो प्राथमिक पोषक तत्व रासायनिक संयोजन में होते हैं।

संपर्क करने पर, महाराष्ट्र राज्य कृषि उर्वरक बीज कीटनाशक डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जगन्नाथ काले ने कहा, ‘‘राज्य को अपनी जरूरत के अनुसार स्टॉक मिलना चाहिए और रेल मार्ग से सीमेंट के बजाय उर्वरकों की आपूर्ति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। (उर्वरकों की) कमी से किसानों की जेब पर दबाव पड़ता है। यदि आवंटन किया जाता है, तो स्टॉक भी पर्याप्त रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड का मुख्यालय महाराष्ट्र में है। पहले, इस पीएसयू को अपने 70 प्रतिशत उत्पादन महाराष्ट्र को और शेष 30 प्रतिशत अन्य राज्यों को आपूर्ति करने के लिए कहा गया था। लेकिन अब इसे राजस्थान को आपूर्ति करने के लिए कहा गया है, जबकि वहां की कंपनियां महाराष्ट्र को अपने उत्पादन की आपूर्ति कर रही हैं। इस स्थिति को सुलझाया जाना चाहिए।’’

जालना के सांसद कल्याण काले ने महाराष्ट्र कृषि आयुक्त को पत्र लिखकर यूरिया की आपूर्ति पर सवाल उठाया है और किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

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