(कोमल पंचमटिया)
मुंबई, 25 जून (भाषा) फिल्म निर्माता दिवंगत अमृत नाहटा के बेटे राकेश नाहटा का कहना है कि उनके पिता को ‘किस्सा कुर्सी का’ नाम की राजनीतिक परिदृश्य पर व्यंग्यात्मक फिल्म के लिए उन्हें जान से मारने की तक धमकियां मिली लेकिन इसके बावजूद उन्होंने समझौता करने से इनकार कर दिया था।
‘किस्सा कुर्सी का’ फिल्म आपातकाल के दौरान प्रतिबंधित कर दी गई थी और 1975 की ये कहानी नेता गंगाराम के इर्द-गिर्द घूमती है। गंगाराम नेता हैं जो कथित तौर पर अनुचित साधनों का उपयोग करते हुए वोट पाने की कोशिश करते है। फिल्म में गंगाराम की भूमिका मनोहर सिंह ने निभाई जबकि इसमें शबाना आज़मी, राज बब्बर, राज किरण और उत्पल दत्त भी अन्य भूमिकाओं में थे।
फिल्म के ‘नेगेटिव’ को नष्ट कर दिया गया था और इसके प्रिंट को तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री वी.सी. शुक्ल ने जब्त कर लिया था, जो इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के करीबी थे।
राकेश ने कहा, ‘‘जब फिल्म को मंजूरी के लिए सेंसर बोर्ड के पास भेजा गया तो बाधाएं शुरू हो गईं। शुरुआत में 11 सदस्यों ने फिल्म देखी और फिर काफी समय तक कोई जवाब नहीं आया।’’
उन्होंने कहा कि यह एक वर्ष का संघर्ष था और इस दौरान सेंसर बोर्ड से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण उनके पिता काफी निराश थे।
राकेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘इसके बाद फिल्म को पुनरीक्षण समिति के पास भेजा गया, जिसमें 22 सदस्य थे। हालांकि उन्होंने कुछ नहीं कहा। बाद में यह न्यायाधिकरण के पास चली गई। मेरे पिता ने सोचा कि शायद फिल्म का एक समिति से दूसरी समिति में जाना सेंसर बोर्ड की सामान्य प्रक्रिया है।’’
उस दौर को सरकार के विरोध में खड़े किसी भी व्यक्ति के लिए कठिन समय बताते हुए राकेश ने कहा कि उनके पिता की फिल्म नष्ट हो गई।
राकेश याद करते हैं, ‘‘जब फ़िल्म न्यायाधिकरण के पास थी, तब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव ने सख़्ती से कहा था, ‘यह फ़िल्म पास नहीं होगी और इस पर प्रतिबंध लगाया जाएगा क्योंकि यह देश के ख़िलाफ़ है।’ उस समय, जो कोई भी देश के ख़िलाफ़ काम करता था, उसे या तो जेल में डाल दिया जाता था या उसका काम बर्बाद कर दिया जाता था। यही मेरे पिता के साथ हुआ, उनकी फ़िल्म नष्ट कर दी गई।’’
राकेश ने कहा, ‘‘उन्होंने मेरे पिता को बहुत प्रताड़ित किया, उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियां मिलीं।’’
आपातकाल के बाद जनता पार्टी में शामिल हुए कांग्रेस के नेता अमृत नाहटा ने इस फिल्म का पुनर्निर्माण किया और 1978 में इसे रिलीज किया, लेकिन इसकी पटकथा वही रही और अधिकतर कलाकार भी बरकरार रहे।
राकेश अब ‘किस्सा कुर्सी का- 3’ बनाने पर काम कर रहे हैं, जो इस बात पर प्रकाश डालेगी कि मूल फिल्म को कैसे प्रतिबंधित और नष्ट किया गया था।
भाषा यासिर माधव
माधव नोमान
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