पटना, 25 जून (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी.के हरिप्रसाद ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 50 वर्ष पहले लगाए गए आपातकाल का बुधवार को बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्र विरोधी ताकतों को दबाने के लिए संवैधानिक मानदंडों का पालन करते हुए ऐसा किया था।
हरिप्रसाद ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ‘अघोषित आपातकाल’ का सामना कर रहा है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया था जो 21 मार्च 1977 तक चला। इस दौरान प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई, लोगों को गिरफ्तारियां की गयीं और शिक्षा जगत, राजनीति और नागरिक समाज में असहमति को दबाया गया।
हरिप्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘यह देश में राष्ट्र विरोधी ताकतों को दबाने के लिए लगाया गया था। आपातकाल के बाद देश की जनता ने 1980 और उसके बाद हुए चुनावों में कांग्रेस को चुना।’
उन्होंने कहा, संविधान का अनुच्छेद 352 “स्पष्ट रूप से कहता है कि देश में बाहरी हमला या आंतरिक अशांति होने पर आपातकाल लगाया जा सकता है। उन्होंने (इंदिरा गांधी ने) इसे कानूनी रूप से किया था। वहीं, भारत अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अघोषित आपातकाल का सामना कर रहा है।’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के खिलाफ बोलने वालों को सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है।
उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
हरिप्रसाद ने कहा, ‘इंदिरा गांधी ने एक निश्चित समय के बाद आपातकाल हटा लिया और देश में आम चुनाव कराए। कांग्रेस पार्टी 1977 में चुनाव हार गई और उन्होंने जनादेश स्वीकार किया।’
उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोदी की रैलियों पर भी हमला बोला।
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘पिछले पांच चुनावों में बिहार में प्रधानमंत्री की रैलियों से सरकारी खजाने पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है। प्रधानमंत्री की प्रत्येक रैली या जनसभा पर औसतन 100 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। पिछले पांच चुनाव के दौरान बिहार में ऐसे 200 कार्यक्रम आयोजित किए गए।’
उन्होंने दावा किया कि इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में राजग को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ेगा।
भाषा नोमान माधव
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