नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो निजी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे भारतीय मूल के पूर्व कनाडाई अधिकारी संजय मदान के खातों से 65.9 करोड़ रुपये कनाडा सरकार के बैंक खाते में अंतरित करें। मदान के खिलाफ विदेशी अदालतों में गबन (धोखाधड़ी) का मामला चल रहा है।
डिजिटल माध्यम से पेश हुए मदान ने कहा कि अगर इंडसइंड बैंक और आरबीएल बैंक उनके और उनके सहयोगियों के नाम से संबंधित खातों में जमा धन राशि को नियमों का पालन करने करते हुए कनाडा सरकार को भेज देते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है जिसके बाद न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा ने यह आदेश पारित किया।
मदान के वकील ने अदालत को बताया कि इंडसइंड बैंक में 38.3 करोड़ रु. जमा हैं, जबकि आरबीएल बैंक में 29 करोड़ रु. जमा हैं।
अदालत ने बैंकों को निर्देश दिया कि वे मदान के साथ दो सप्ताह के भीतर ‘उपभोक्ता को जानो’ (केवाईसी) प्रक्रिया को पूरा करें क्योंकि खाते निष्क्रिय हो गए हैं।
उच्च न्यायालय ने 23 जून के अपने आदेश में कहा, ‘‘केवाईसी प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रतिवादी संख्या-पांच (इंडसइंड बैंक) और प्रतिवादी संख्या 10 (आरबीएल बैंक) को लागू कानून/नियमों के अनुसार कनाडा सरकार/वादी के बैंक खाते में 65.9 करोड़ रुपये की राशि अंतरित करने का निर्देश दिया जाता है।’’
अदालत कनाडा सरकार द्वारा दायर एक मुकदमे पर सुनवाई कर रही है जिसमें धन की वसूली, खातों का प्रतिपादन और अदालती आदेश पारित करने का अनुरोध किया गया था।
यह मुकदमा कनाडा के अधिकारियों द्वारा कई वर्षों में किए गए 4.74 करोड़ कनाडाई डॉलर (लगभग 290 करोड़ रुपये) की धोखाधड़ी के हिस्से के रूप में मदान द्वारा कथित रूप से भारत में डायवर्ट किए गए धन को पुनर्प्राप्त करने के लिए जारी प्रयासों का हिस्सा है।
कहा जाता है कि मदान और उसके सहयोगी के खिलाफ कार्यवाही कनाडा सरकार द्वारा कनाडा में ‘ओंटारियो सुपीरियर कोर्ट ऑफ जस्टिस’ में शुरू की गई थी।
अप्रैल 2023 में धोखाधड़ी, विश्वासघात और धन शोधन के कई मामलों में दोषी पाए जाने के बाद मदान को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
याचिका समझौते के हिस्से के रूप में, मदान ने गबन की गई पूरी राशि चुकाने, तीन करोड़ कनाडाई डॉलर अग्रिम रूप से वापस करने और शेष राशि 15 वर्षों में चुकाने के लिए सहमति जतायी थी।
भाषा खारी रंजन
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