नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) विभिन्न वामपंथी दलों ने ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों को ‘‘बिना उकसावे’’ की कार्रवाई करार देते हुए बुधवार को यहां जंतर-मंतर पर संयुक्त विरोध-प्रदर्शन किया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस विरोध प्रदर्शन में माकपा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और फॉरवर्ड ब्लॉक के प्रतिनिधियों तथा वरिष्ठ नेताओं सहित सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।
सभा को संबोधित करते हुए माकपा के पोलित ब्यूरो के सदस्य आर अरुण कुमार ने कहा, ‘‘इजराइल के हमले के कारण फलस्तीन में 56,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, फिर भी भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र में इस नरसंहार के खिलाफ वोट देने से परहेज करती रही है। अब, ईरान पर हाल ही में अमेरिका-इजराइल के हमले के बाद भी वह चुप्पी साधे हुए है। यह मिलीभगत से कम नहीं है। यदि आप मानवता के खिलाफ अपराधों के खिलाफ खड़े नहीं होते हैं तो इसका मतलब है कि आप चुपचाप उनका समर्थन कर रहे हैं।’’
उन्होंने वामपंथी दलों की मुख्य मांगों को दोहराया जिसमें फलस्तीन के लिए तत्काल आजादी और देश का दर्जा, अंतरराष्ट्रीय मान्यता और सभी बेघर फलस्तीनियों के लिए वापसी का अधिकार शामिल हैं।
कुमार ने कहा कि अमेरिका और इजराइल द्वारा ईरान और फलस्तीन जैसे संप्रभु राष्ट्रों पर निरंतर अत्याचार न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है, बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी खतरा है।
उन्होंने आगाह किया, ‘‘जब तक अत्याचार खत्म नहीं होता, तब तक कोई भी युद्धविराम नाजुक बना रहेगा।’’
प्रदर्शन को संबोधित करने वाले अन्य वामपंथी नेताओं में अमरजीत कौर (भाकपा), सुचेता डे (भाकपा-माले), आरएस डागर (आरएसपी) और जी देवराजन (फॉरवर्ड ब्लॉक) शामिल थे।
भाषा खारी नेत्रपाल
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