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Thursday, June 26, 2025

मोदी ने 2014 में वंशवादी राजनीति को जड़ से उखाड़ फेंका: अमित शाह ने आपातकाल की निंदा की

Newsमोदी ने 2014 में वंशवादी राजनीति को जड़ से उखाड़ फेंका: अमित शाह ने आपातकाल की निंदा की

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही विचारों का 25-वर्षीय युवा के रूप में विरोध किया था और इसके खिलाफ गांव-गांव जाकर विरोध जताया था।

शाह ने कहा कि आपातकाल देश में वंशवादी राजनीति को बढ़ावा देने के लिए लगाया गया था और यह मोदी ही थे, जिन्होंने 2014 में इसे (वंशवादी राजनीति) जड़ से उखाड़ फेंका।

उन्होंने ‘‘द इमरजेंसी डायरीज- इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’’ नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर यह बात कही। यह पुस्तक में आपातकाल-विरोधी आंदोलन के दौरान मोदी के अनुभवों का संकलन है।

उन्होंने कहा, ‘‘वह (मोदी) उस वक्त 25-वर्षीय युवा थे, जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री के तानाशाही विचारों का विरोध किया था।’’

गृह मंत्री ने कहा कि आपातकाल वंशवादी राजनीति को फिर से स्थापित करने के लिए लगाया गया था, लेकिन मोदी ने इसके खिलाफ घर-घर, गांव-गांव और शहर-शहर जाकर विरोध जताया और आखिरकार 2014 में उन्होंने पूरे देश से वंशवादी राजनीति को जड़ से उखाड़ फेंका।

शाह ने कहा कि पुस्तक में आपातकाल के दौरान एक युवा ‘संघ प्रचारक’ के रूप में मोदी के काम का उल्लेख है कि कैसे उन्होंने जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख के नेतृत्व में 19 महीने लंबे आंदोलन के दौरान भूमिगत रहकर लड़ाई लड़ी।

पुस्तक में विस्तार से बताया गया है कि कैसे वे मीसा अधिनियम के तहत जेल गए लोगों के घर गए और उनके परिवारों से बात की तथा उनके इलाज की व्यवस्था की।

गृह मंत्री ने कहा कि पुस्तक में यह भी बताया गया है कि कैसे मोदी ने गुप्त रूप से प्रकाशित कई समाचार पत्रों को बाजारों, चौराहों, छात्रों और महिलाओं के बीच वितरित किया तथा उन्होंने गुजरात के 25-वर्षीय युवा के रूप में संघर्ष का नेतृत्व किया।

शाह ने कहा कि मोदी उस समय भूमिगत होकर काम करते थे- कभी संत बनकर, कभी सरदार जी बनकर, कभी हिप्पी बनकर, कभी अगरबत्ती विक्रेता बनकर, तो कभी अखबार विक्रेता बनकर।

गृह मंत्री ने कहा कि इस पुस्तक में मीडिया सेंसरशिप, सरकारी दमन, संघ और जनसंघ के संघर्ष, आपातकाल के पीड़ितों का वर्णन और तानाशाही से लेकर जनभागीदारी तक के पांच अध्याय हैं।

उन्होंने देश के युवाओं से पुस्तक पढ़ने की अपील की, ताकि वे जान सकें कि एक युवा व्यक्ति जिसने अपने शुरुआती दिनों में तानाशाही के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, अब इस देश में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कर रहा है और ‘‘वह हमारे प्रधानमंत्री मोदी हैं’’।

भाषा सुरेश माधव

माधव

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