नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) सरकार लंबे समय से रुकी हुई तुलबुल परियोजना को फिर से शुरू करने की योजना पर आगे बढ़ रही है और यह सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के तहत पश्चिमी नदियों से देश के हिस्से के पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
तुलबुल परियोजना के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है और इसके पूरा होने में लगभग एक वर्ष का समय लगने की उम्मीद है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इसके बाद ही हम कोई निर्णय लेंगे।’’ उन्होंने पुष्टि की कि परियोजना को फिर से पटरी पर लाने के लिए चर्चा अग्रिम चरण में है।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को ‘‘स्थगित’’ कर दिए जाने की पृष्ठभूमि में यह कदम उठाया गया है।
आतंकी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने जल-बंटवारे की व्यवस्था का पुनर्मूल्यांकन करना शुरू किया था।
सिंधु जल संधि के तहत भारत के पास सिंधु, चिनाब और झेलम पर सीमित अधिकार हैं, जो मुख्य रूप से पाकिस्तान में बहती हैं।
हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि इन नदियों से भारत के हिस्से के पानी के उपयोग को बढ़ाने के लिए कई प्रस्ताव विचाराधीन हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘पश्चिमी नदियों में से एक का पानी पंजाब और हरियाणा की ओर ले जाने की संभावना है, जो तकनीकी रूप से संभव है।’’ हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि सिंधु नदी के पानी के लिए ऐसा करने पर विचार नहीं किया जा रहा है।
इस बीच, किशनगंगा जलविद्युत परियोजना, जिस पर कभी पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी, पहले ही पूरी हो चुकी है। रतले परियोजना के निर्माण में भी तेजी लाई गई है।
भाषा सुभाष नरेश
नरेश