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Thursday, June 26, 2025

हीमोफीलिया ए के उपचार में एमिसिजुमैब की कम खुराक भी मानक खुराक जितनी कारगर

Newsहीमोफीलिया ए के उपचार में एमिसिजुमैब की कम खुराक भी मानक खुराक जितनी कारगर

(पायल बनर्जी)

नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) ‘हीमोफीलिया ए’ के उपचार में एमिसिजुमैब दवा की कम खुराक भी मानक खुराक के समान ही प्रभावी है और इससे उपचार के खर्च में आधे से भी अधिक की कमी आ सकती है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।

‘हीमोफीलिया ए’ एक आनुवंशिक विकार है जो रक्त का थक्का जमाने के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण प्रोटीन ‘फैक्टर 8’ की कमी के कारण होती है।

भारत में लगभग 27,000 हीमोफीलिया ए रोगी ही आधिकारिक रूप से पंजीकृत हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि वास्तविक संख्या 1.4 लाख से अधिक हो सकती है।

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहीमैटोलॉजी (एनआईआईएच) की निदेशक डॉ मनीषा मडकाइकर ने कहा, ‘मानक एमिसिजुमैब उपचार हमारे अधिकांश मरीजों के लिए अत्यधिक महंगा है, जिनमें से अधिकांश रोगी आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं।’

एमिसिजुमैब एक ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ है जो हीमोफीलिया ए में थक्का जमाने वाले एक लुप्त कारक फैक्टर 8 के कार्य की नकल करता है। यह स्वतःस्फूर्त और विशेष रूप से जोड़ों में चोट से संबंधित रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है।”

यह शोध मुंबई स्थित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त हीमोफीलिया उपचार केंद्र आईसीएमआर-एनआईआईएच और केईएम अस्पताल ने किया है।

एनआईआईएच की वैज्ञानिक डॉ. रुचा पाटिल और केईएम अस्पताल की प्रोफेसर डॉ. चंद्रकला एस. के नेतृत्व यह अध्ययन किया गया। अध्ययन में पिछले मरीजों के चिकित्सकीय रिकॉर्ड की समीक्षा के माध्यम से एमिसिजुमैब की कम खुराक की प्रभावशीलता और सुरक्षा की तुलना मानक खुराक फैक्टर 8 प्रोफिलैक्सिस से की गई, जो फिलहाल हीमोफीलिया ए के इलाज में प्रचलित मानक उपचार है।

इस अध्ययन के निष्कर्ष ‘जर्नल ऑफ थ्रोम्बोसिस एंड हेमोस्टेसिस’ में प्रकाशित किए गए।

एनआईआईएच के निदेशक मडकाइकर ने कहा, ‘यह अध्ययन दर्शाता है कि एमिसिजुमैब की कम खुराक का उपचार प्रभावकारिता से समझौता किए बिना एक व्यवहार्य और किफायती विकल्प हो सकता है।’

अध्ययन के अनुसार, भारत में कम खुराक वाली एमिसिजुमैब की प्रत्यक्ष कीमत सालाना लगभग 10 लाख रुपये है, जो मानक खुराक के लिए आवश्यक 26 लाख रुपये के आधे से भी कम है।

इसके विपरीत, कम खुराक वाले पुनः संयोजक फैक्टर 8 प्रोफिलैक्सिस की लागत 6 से 13 लाख रुपये तक है, जो फैक्टर के प्रकार पर निर्भर करती है।

मडकाइकर ने कहा, ’50 वर्ष की जीवन अवधि और 50 किलोग्राम औसत वजन मानकर, कम खुराक वाली एमिसिजुमैब के उपयोग से उपचार की आजीवन लागत में प्रति मरीज सात करोड़ रुपये से अधिक की कमी आ सकती है।’

हीमोफीलिया ए एक आजीवन रक्तस्राव विकार है, जिसकी वजह से अक्सर अपने आप या चोट लगने के कारण खून बहता है। यह आमतौर पर घुटनों, टखनों, कोहनी, कूल्हों और कलाई जैसे बड़े जोड़ों में होता है।

भाषा जोहेब पवनेश

पवनेश

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