अहमदाबाद, 26 जून (भाषा) आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने विधायक उमेश मकवाना को ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधियों के लिए बृहस्पतिवार को दल से निलंबित कर दिया। इससे कुछ ही घंटे पहले उन्होंने विधायक पद को छोड़कर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने दावा किया था कि ‘आप’ पिछड़े वर्गों के मुद्दे उठाने में नाकाम रही है।
विधायक का यह कदम राज्य में उपचुनाव में ‘आप’ द्वारा विसावदर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने के महज तीन दिन बाद आया है।
बोटाद सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले मकवाना ने गांधीनगर में कहा कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और राज्य विधानसभा में सचेतक के पद से इस्तीफा दे दिया है।
कोली (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विधायक ने कहा कि वह एक साधारण ‘आप’ कार्यकर्ता के रूप में काम करना जारी रखेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह विधायक पद से इस्तीफा देने का मन बना रहे हैं, मकवाना ने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से परामर्श करने के बाद निर्णय लेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें कोई परेशानी न हो।
उनके इस कदम के तुरंत बाद, ‘आप’ की गुजरात इकाई के अध्यक्ष इसुदान गढ़वी ने एक बयान जारी कर मकवाना के निलंबन की घोषणा की।
गढ़वी ने बयान में कहा, ‘उमेश मकवाना को पार्टी विरोधी और गुजरात विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण ‘आप’ से पांच साल के लिए निलंबित कर दिया गया है।’
राज्य की 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए वर्ष 2022 में हुए चुनाव में मकवाना समेत आप के पांच विधायकों ने जीत दर्ज की थी।
उन्होंने अचानक से यह घोषणा तब की है जब महज़ तीन दिन पहले ही ‘आप’ नेता गोपाल इटालिया ने जूनागढ़ जिले की विसावदर सीट पर भाजपा उम्मीदवार किरीट पटेल को हराकर उपचुनाव जीता है।
साल 2022 के विधानसभा चुनावों में ‘आप’ के भूपेंद्र भयानी विसावदर से विजयी हुए, लेकिन दिसंबर 2023 में भयानी के इस्तीफा देने और सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। इसके बाद यहां उपचुनाव कराया गया।
हालांकि, अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित मेहसाणा की कादी सीट पर ‘आप’ को हार का सामना करना पड़ा, जहां पार्टी के उम्मीदवार जगदीश तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा, जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही।
गांधीनगर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मकवाना ने आरोप लगाया कि सभी पार्टियां, चाहे वह भाजपा हो, कांग्रेस हो या ‘आप’ हो, पिछड़े वर्गों को हमेशा नज़रअंदाज़ करती हैं, खासकर जब बात प्रमुख पदों जैसे मुख्यमंत्री या पार्टी अध्यक्ष देने की होती है।
उन्होंने दावा किया, ‘कोली समेत ओबीसी की आबादी गुजरात में सबसे ज्यादा है। लेकिन, करीब 30 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा ने कभी किसी ओबीसी को गुजरात का मुख्यमंत्री या पार्टी अध्यक्ष नहीं बनाया। कांग्रेस भी कोली और अन्य पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाने में विफल रही।’
मकवाना ने कहा कि पार्टियां चाहे कोई भी हों, ओबीसी नेताओं को सिर्फ चुनाव के दौरान ही महत्व दिया जाता है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है
मकवाना ने कहा, ‘चाहे गुजरात की राजनीति हो या राष्ट्रीय राजनीति, अगर पार्टी डॉ. बीआर आंबेडकर के दिखाए रास्ते पर नहीं चल सकती तो कार्यालयों में उनकी तस्वीर लगाने का कोई मतलब नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं बोटाद में अपने लोगों से सलाह लेने के बाद विधायक पद छोड़ने का फैसला लूंगा। मैंने आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए आने वाले दिनों में सभी ओबीसी नेताओं की एक बैठक भी बुलाई है। उस बैठक के बाद मैं अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बताऊंगा।’
भाषा नोमान पवनेश
पवनेश