नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने हत्या के एक मामले में आरोपी की हिरासत से जुड़े आदेश को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के खिलाफ राज्य पुलिस की एक याचिका पर सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को सहमत जताई।
उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए हिरासत से जुड़े अधीनस्थ अदालत के आदेश को खारिज कर दिया था कि आरोपी को गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया था।
न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। विशेष अनुमति याचिका और स्थगन अर्जी पर नोटिस जारी करें।’’
अपने 17 अप्रैल के आदेश में, उच्च न्यायालय ने 17 फरवरी 2023 को पारित अधीनस्थ अदालत के रिमांड आदेश को रद्द कर दिया और कुछ शर्तों के तहत व्यक्ति को हिरासत से रिहा करने का निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने हासन जिले में हुई हत्या के एक मामले में 17 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किये गए व्यक्ति को याचिका पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया।
पुलिस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा शीर्ष अदालत में पेश हुए।
पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी के आधार के मुद्दे पर एक अलग याचिका में उच्चतम न्यायालय ने 22 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने कहा, ‘‘इस फैसले (अलग याचिका पर) का नतीजा इस मामले पर अंतिम फैसला सुनाने में अहम भूमिका निभाएगा। मामले को 18 जुलाई को विचार करने के लिए रखा जाए।’’
लूथरा ने कहा कि उच्च न्यायालय में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, जहां यह संभावना है कि वर्तमान मामले में शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दिये गए आदेश को मिसाल के तौर पर उद्धृत किया जाएगा।
पीठ ने लूथरा से कहा, ‘‘आप इस आदेश की प्रति उच्च न्यायालय को दिखाएं। हम इसका इंतजार कर रहे हैं, उन्हें भी इंतजार करना चाहिए।’’
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी के यथाशीघ्र बाद इसके आधार के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और गिरफ्तारी के बाद से सुनाये गए निर्णयों में उल्लेखित आधार के बारे में लिखित रूप अवगत कराना तो दूर की बात है।
शीर्ष अदालत उस अलग याचिका पर विचार करेगी जिसपर फैसला 22 अप्रैल को सुरक्षित रख लिया गया था।
न्यायालय यह विचार करेगा कि क्या प्रत्येक मामले में, यहां तक कि पूर्ववर्ती भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) के तहत अपराध की श्रेणी में आने वाले कृत्य में, गिरफ्तारी से पहले या इसके बाद आधार बताना आवश्यक है।
यह इस बात पर भी विचार करेगा कि क्या अपवादस्वरूप मामलों में भी, जहां कुछ अनिवार्यताओं के कारण गिरफ्तारी पूर्व या गिरफ्तारी के तुरंत बाद इसके आधार बताना संभव नहीं हो, तो क्या तत्कालीन दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 50 के प्रावधानों का अनुपालन न करने के आधार पर गिरफ्तारी को अमान्य माना जाएगा।
सीआरपीसी की धारा 50 गिरफ्तार व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधार और जमानत के अधिकार के बारे में सूचित करने का प्रावधान करता है।
भाषा सुभाष माधव
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