नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 700 से अधिक बैंक शाखाओं में लगभग 8.5 लाख ऐसे ‘फर्जी या निष्क्रिय खातों’ का पता लगाया है जिनका इस्तेमाल डिजिटल चोरी, धोखाधड़ी वाले निवेश और यूपीआई- आधारित धांधली से अर्जित अवैध कमाई को ठिकाने लगाने के लिए किया जा रहा था।
जांच अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि इन फर्जी खातों पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने हाल ही में राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में 42 ठिकानों पर एक साथ तलाशी अभियान चलाया।
इस दौरान नौ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया जिनमें कथित बिचौलिये, एजेंट, एग्रीगेटर, खाताधारक और बैंकिंग प्रतिनिधि शामिल हैं। इन पर फर्जी खाते खोलने में मदद करने का आरोप है।
‘फर्जी खाता’ ऐसा बैंक खाता होता है जो किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर खोला जाता है, जिसे शायद पता भी न हो कि उसके खाते का इस्तेमाल अवैध धन को सफेद करने के लिए किया जा रहा है।
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि इन खातों को अक्सर फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग करके खोला जाता था ताकि पीड़ितों से हड़पी राशि को निकालने के बाद इन्हें फौरन बंद किया जा सके। इसकी वजह से अपराधियों को पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है।
सीबीआई के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चला है कि कुछ बैंक अधिकारी, ई-मित्र एजेंट और अन्य बिचौलिये भी इन धोखेबाजों के साथ सक्रिय रूप से मिले हो सकते हैं, जिन्होंने खाते खोलने और अवैध निकासी को अंजाम देने में मदद की।
सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान कई बैंकों में प्रणालीगत खामियां उजागर हुई हैं। देशभर में फैली 700 से अधिक शाखाओं में लगभग 8.5 लाख फर्जी खाते उचित केवाईसी मानदंडों, ग्राहक की जांच, या प्रारंभिक जोखिम मूल्यांकन के बगैर खोल दिए गए थे।
इसके साथ ही कई बैंक शाखा प्रबंधक संदिग्ध लेनदेन का अलर्ट मिलने पर भी गंभीरता से ध्यान देने में विफल रहे। सीबीआई ने ग्राहक के पते की प्रामाणिकता की पुष्टि न करने जैसी खामियां भी पाई हैं।
इस जांच के बाद सीबीआई ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत बैंक अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कदाचार को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज की है।
तलाशी अभियान के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य, मोबाइल फोन, बैंक खाता खोलने के दस्तावेज और लेनदेन के विवरण जब्त किए गए हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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