नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सभी रजिस्ट्री शाखाओं में जवाबदेही और कार्य दक्षता सुनिश्चित करने के मद्देनजर दस्तावेजों के रखरखाव और निपटान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए।
शीर्ष अदालत ने प्रशासनिक रिकॉर्ड के प्रबंधन में कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने एक संदेश में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने प्रशासनिक रिकॉर्ड की मात्रा और विविधता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है।
उन्होंने कहा, ‘‘जबकि, मामले की कार्यवाही से संबंधित न्यायिक रिकॉर्ड उच्चतम न्यायालय के नियमों के तहत निहित स्पष्ट प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं, इसके बावजूद प्रशासनिक रिकॉर्ड के प्रबंधन के संबंध में कमी बनी हुई है।’’
प्रधान न्यायाधीश गवई ने पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए इन रिकॉर्ड के उचित प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया तथा तर्कसंगत ढांचा स्थापित करने के लिए दिशा-निर्देश दिये।
ये दिशा-निर्देश रजिस्ट्रार और रजिस्ट्री के अधिकारियों के बीच विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किये गये हैं।
दिशा-निर्देशों के अनुसार, भारत के प्रधान न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के हस्ताक्षर वाले मूल नोट को स्थायी रूप से संरक्षित किया जाना चाहिए।
इसके अलावा, नीति संबंधी फाइल, कार्यालय आदेश और परिपत्र फाइल स्थायी रूप से संरक्षित की जानी हैं।
दिशा-निर्देश के मुताबिक, ‘‘रिकॉर्ड बरकरार रखने की अवधि अंतिम कार्रवाई या मध्यस्थता, मुकदमेबाजी, जांच या लेखा परीक्षा के निपटान के बाद शुरू होगी। फाइल/मामलों/रिकॉर्ड को नष्ट करने से पहले सभी संबंधित शाखाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि नष्ट की जा रही फाइल/मामले/रिकॉर्ड के विषय के संबंध में कोई अदालती मामला लंबित नहीं है।’’
भाषा शफीक अविनाश
अविनाश