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Friday, June 27, 2025

ममता ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के प्रति आस्था दोहराई

Newsममता ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के प्रति आस्था दोहराई

कोलकाता/पुरी, 26 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि पुरी जगन्नाथ मंदिर के प्रति उनकी गहरी आस्था है और एक श्रद्धालु के तौर पर वह वर्षों से नियमित रूप से मंदिर जाती रहती हैं। वहीं गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य ने पश्चिम बंगाल सरकार पर भक्ति के बजाय व्यावसायिक लाभ के लिए भगवान जगन्नाथ के नाम का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।

दीघा में नवनिर्मित मंदिर का नाम ‘जगन्नाथ धाम’ रखे जाने पर ओडिशा सरकार की आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा कि इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जिस तरह प्रतिक्रिया दी है, वह न तो समझ पा रही हैं, न ही कुछ बोल पा रही हैं।

बनर्जी ने कहा, ‘‘दीघा मंदिर सभी परंपराओं और शास्त्रों का पालन करते हुए बनाया गया था और पुरी मंदिर के एक पुजारी ने खुद तय किया कि इसमें किस तरह के धार्मिक रीति- रिवाज और परंपराएं अपनाई जाएंगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ओडिशा सरकार को दीघा जगन्नाथ मंदिर के बारे में जो करना है, करने दीजिए। 12वीं सदी के मंदिर के प्रति मेरी गहरी श्रद्धा है। मैं भगवान जगन्नाथ की भक्त हूं। लेकिन क्या दीघा में एक और जगन्नाथ मंदिर नहीं हो सकता?’’

उन्होंने कहा कि ओडिशा से सैकड़ों लोग दीघा मंदिर में दर्शन करने आते हैं। उन्होंने सवाल उठाया, ‘‘तो ओडिशा सरकार इतनी परेशान क्यों है?’’

बनर्जी ने दावा किया कि उन्हें शास्त्रों और अनुष्ठानों की बारीकियों की ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने जानकारों और पुजारियों से सलाह ली और उनके अनुसार ही सब किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बड़ा धर्म कौन सा है? मानवता का धर्म मेरे लिए शीर्ष है। मैं लोगों से स्नेह करती हूं। मैं मानवता से प्रेम करती हूं और मेरे लिए यही सच्चा धर्म है।’’

पुरी के गजपति ‘राजा’ दिव्यसिंह देव के इस बयान कि दीघा मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ नहीं कहा जा सकता, इस पर बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं उनके विचारों का सम्मान करती हूं।’’

इस बीच, गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पुरी में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए भगवान जगन्नाथ के नाम का दुरुपयोग कर रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में वह धार्मिक भावना नहीं है जो दीघा मंदिर का नाम ‘जगन्नाथ धाम’ रखने के लिए होनी चाहिए।’’

अपनी टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए, 81 वर्षीय संत ने बताया कि पुरी की अर्थव्यवस्था को पश्चिम बंगाल के तीर्थयात्रियों से काफी मदद मिलती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि ममता बनर्जी भी जानती हैं कि पुरी में बंगाली भक्तों की वजह से रौनक बनी रहती है। होटल, व्यापारी सभी को इससे लाभ होता है।’’

शंकराचार्य ने कहा, ‘‘बंगाल से ओडिशा में राजस्व के प्रवाह को रोकने के लिए, उन्होंने (ममता ने) दीघा में जगन्नाथ मंदिर का निर्माण किया है और इसे धाम का नाम दिया। लेकिन धाम शब्द का इस्तेमाल करना स्वीकार्य नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि बंगाली श्रद्धालु अब दीघा में धन खर्च करेंगे।

भाषा खारी अविनाश

अविनाश

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