(अमनप्रीत सिंह )
नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) अखिल भारतीय टेनिस संघ (एआईटीए) की कार्यकारी समिति ने शुक्रवार को अनिल धूपर को महासंघ के महासचिव पद से हटा दिया और कहा कि 70 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद वह इस पद पर नहीं रह सकते थे और वह पहले ही अपना चार साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।
कार्यकारिणी के 25 सदस्यों में से 17 सदस्य इस बैठक में उपस्थित थे जिसमें तीन चौथाई बहुमत से संयुक्त सचिव सुंदर अय्यर को अंतरिम सचिव बनाने का प्रस्ताव पारित किया। इससे उन्हें सोमदेव देववर्मन और पूरव राजा द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका का जवाब दाखिल करने का अधिकार मिल गया, जिसमें सितंबर 2024 में हुए चुनावों की वैधता को चुनौती दी गई थी।
धूपर 72 वर्ष के हैं और उन्हें 2020 में चार साल के कार्यकाल के लिए चुना गया था। उन्होंने पिछले साल के चुनावों में किसी भी पद के लिए अपना नामांकन दाखिल नहीं किया था, लेकिन अदालत द्वारा चुनाव के नतीजे घोषित नहीं किए जाने के कारण वह अपने पद पर बने हुए थे।
एआईटीए के उपाध्यक्ष (खेल) हिरण्मय चटर्जी ने पीटीआई से कहा, ‘‘हमने आज एक प्रस्ताव पारित कर धूपर को महासचिव पद से हटा दिया। हमने सुंदर अय्यर को अंतरिम सचिव नियुक्त किया है। वह (खिलाड़ियों की) याचिका पर भी गौर करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कार्यकारी समिति सर्वोच्च है, लेकिन अध्यक्ष और महासचिव कार्यकारी समिति से परामर्श किए बिना ही फैसले कर रहे थे। यही नहीं धूपर पहले ही 70 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं और खेल संहिता के अनुसार वह अपने पद पर नहीं बने रह सकते।’’
चटर्जी को जब याद दिलाया गया कि एआईटीए संविधान के अनुसार 70 साल की उम्र से पहले चुना गया कोई भी पदाधिकारी 70 साल का होने पर भी अपना कार्यकाल पूरा कर सकता है तो उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने अपने पद पर बने रहने के लिए यह बदलाव किया है। हमें खेल संहिता का पालन करना है। उन्होंने चार साल का अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है, तो पद पर क्यों बने हुए हैं।’’
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए धूपर ने पीटीआई से कहा कि वह महासंघ के महासचिव बने रहेंगे क्योंकि नये चुनावों से संबंधित मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।
धूपर ने कहा, ‘‘मैं अदालत के आदेश का इंतजार कर रहा हूं, मामला अदालत में विचाराधीन है। जब तक कोई पद खाली नहीं हो, तब तक किसी को नया सचिव नियुक्त नहीं किया जा सकता है। मैं कानूनी सलाह लेने के बाद अवमानना का मामला दायर कर सकता हूं, क्योंकि मैंने इस्तीफा नहीं दिया है। यह उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है, जिसने यथास्थिति बनाए रखने की सलाह दी थी। मैं अब भी एआईटीए का सचिव हूं।’’
चटर्जी ने कहा कि वे बैठक की कार्यवाही खेल मंत्रालय के साथ-साथ दिल्ली उच्च न्यायालय को भी सौंपेंगे, जो 11 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस बैठक की कार्यवाही को रिकॉर्ड कर लिया है और हम इसे मंत्रालय के साथ साझा करेंगे। हम संहिता का अनुपालन करते हैं और इसीलिए सरकार ने इसे एनएसएफ (राष्ट्रीय खेल महासंघ) के रूप में मान्यता दी है। जब तक नई संहिता लागू नहीं हो जाती, हमें मौजूदा संहिता का पालन करना होगा और हम नई संहिता का भी पालन करेंगे।‘‘
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायालय की ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं है कि कार्यकारी समिति की बैठक नहीं हो सकती या वह फैसला नहीं ले सकती।’’
अहमदाबाद में आयोजित बैठक में कार्यकारिणी के सात सदस्यों ने वर्चुअल भाग लिया।
भाषा
पंत नमिता
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