(दीपक रंजन)
नई दिल्ली, 27 जून (भाषा) वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक एवं प्रख्यात वैज्ञानिक एन कलाइसेल्वी ने सिकल सेल एनीमिया परियोजना को एक बहुत ही सफल मिशन बताते हुए कहा कि काउंसलिंग के अलावा आठ साल पहले शुरू की गई इस परियोजना से अब तक आदिवासी क्षेत्रों में 20 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
एन कलाइसेल्वी ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘सिकल सेल एनीमिया वास्तव में हमारे बहुत दूरदर्शी और सफल मिशनों में से एक है। आठ साल पहले हमने एमओटीए और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के सहयोग से इस पर काम शुरू किया था। उन्होंने शुरुआत में केवल पहले 5 से 6 साल के लिए ही फंडिंग दी।’
उन्होंने कहा कि हमने इस मिशन को 3 भागों में बांटा है। पहला है सिकल सेल एनीमिया की स्क्रीनिंग और निगरानी। यह सीसीएमबी हैदराबाद द्वारा किया गया था। दूसरा है सिकल सेल एनीमिया के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली दवाइयां और औषधियाँ। इसका नेतृत्व भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) ने किया था। और तीसरा है जीनोम अनुक्रमण और जीनोम संपादन।
कलाइसेल्वी ने कहा कि इसकी स्क्रीनिंग और निगरानी में एक बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि डॉ गिरिराज चांडक के नेतृत्व में एक टीम ने छत्तीसगढ़ के रायपुर और बिलासपुर और ओडिशा तथा छत्तीसगढ़ के सभी क्षेत्रों का दौरा किया।
उन्होंने कहा, ‘टीम ने आदिवासी समुदाय के लोगों को विवाह पूर्व और विवाह के बाद तथा गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान परामर्श जैसी जानकारी दी। बच्चे के जन्म के बाद भी उन्होंने समुदाय को जागरूक करने में बड़ी भूमिका निभाई।’
उन्होंने सीएसआईआर टीम द्वारा विकसित सिकल सेल एनीमिया जांच किट के संबंध में बताया कि इसकी कीमत 100 रुपये से भी कम है और अब परिष्कृत उपकरणों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा,‘‘ खून की एक बूंद की जांच से आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किसी को सिकल सेल एनीमिया का कोई खतरा है या नहीं। आप इसके वाहक हैं या आप रोगी हैं या फिर आपकी सिकल सेल एनीमिया की गंभीरता क्या है.. ये सभी संकेत आपको जांच से मिल सकते हैं।’’
कलाइसेल्वी ने कहा कि सीएसआईआर द्वारा 20 लाख मामलों की स्क्रीनिंग पूरी की जा चुकी है।
सिकल सेल एनीमिया एक आनुवंशिक विकार है जिसमें गंभीर रक्ताल्पता या क्रोनिक एनीमिया, तीव्र दर्द, रक्त वाहिकाओं का अवरुद्ध होना और जीवन प्रत्याशा में महत्वपूर्ण कमी के साथ-साथ अंगों का नुकसान होना शामिल है। यह बीमारी देश में मुख्य रूप से आदिवासी लोगों में देखी जाती है।
एक जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के संकल्प की घोषणा करते हुए कहा था कि 2047 के अंत तक, सिकल सेल एनीमिया को भारत की धरती से मिटा दिया जाएगा।
भाषा दीपक मनीषा नरेश
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