नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) केरल के तिरुवनंतपुरम में आपात स्थिति में उतरे और 12 दिन से फंसे ब्रिटेन की शाही नौसेना के एफ-35बी लड़ाकू विमान की मरम्मत करने के लिए ब्रिटिश विमानन इंजीनियर आ रहे हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
यह विमान ब्रिटेन की शाही नौसेना के विमानवाहक पोत एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर के लड़ाकू बेड़े का हिस्सा है।
इस लड़ाकू विमान की कीमत करीब 11 करोड़ अमेरिकी डॉलर है और इसे दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। इस विमान की 14 जून को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग कराई गई थी।
ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि विमान में इंजीनियरिंग संबंधी समस्या उत्पन्न होने के बाद उसे तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मरम्मत के लिए रखा गया है।
उन्होंने बताया कि ब्रिटेन ने विमान को हवाई अड्डे पर रखरखाव मरम्मत और ओवरहॉल केंद्र ले जाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ब्रिटेन की इंजीनियरिंग टीम के विशेषज्ञ उपकरणों के साथ जब पहुंचेंगे तब विमान को हैंगर में ले जाया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अन्य विमानों के निर्धारित रखरखाव में न्यूनतम व्यवधान हो।’’
एफ-35बी पांचवीं पीढ़ी का एकमात्र लड़ाकू विमान है जिसके उड़ान भरने के लिए लंबे रनवे की जरूरत नहीं होती और हेलीकॉप्टर की तरह यह सीधे उतर सकता है। यह खूबी इसे छोटे विमानवाहक पोत से भी इसका संचालन करने के लिए आदर्श बनाती है।
अधिकारी ने कहा कि मरम्मत और सुरक्षा जांच पूरी हो जाने के बाद विमान वापस शाही नौसेना की सेवा में आएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘जमीनी टीम सुरक्षा और सुरक्षा सावधानी सुनिश्चित करते हुए भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। हम भारतीय अधिकारियों और तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं।’’
प्रतिकूल मौसम के कारण विमान एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स पर वापस नहीं लौट सका।
एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स के इंजीनियरों ने विमान की जांच की और फैसला किया कि ब्रिटेन स्थित इंजीनियरिंग टीम का सहयोग आवश्यक है।
विमान की आपात लैंडिंग के कुछ दिनों बाद, भारतीय वायुसेना ने कहा कि वह विमान की ‘‘मरम्मत और वापस भेजने’ के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रही है।
एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय नौसेना के साथ सैन्य अभ्यास किया था।
भाषा धीरज नरेश
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