पतनमतिट्ठा, 27 जून (भाषा) केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने शुक्रवार को कहा कि भारत माता के विचार के सामने सब कुछ गौण है। उनकी यह टिप्पणी केरल राजभवन के आधिकारिक समारोहों में राष्ट्र की भगवा झंडे के साथ माता के रूप में तस्वीर प्रदर्शित करने को लेकर उठे विवाद के बीच आई है।
पतनमतिट्ठा में संवाददाताओं से मुखातिब कुरियन ने कहा कि “राजभवन और सरकार में बैठे लोग भारत माता के सामने गौण हैं।”
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री ने कांग्रेस और वामपंथी दलों-मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को ‘भारत माता की जय’ के नारे पर रोक लगाने का प्रयास करने की चुनौती दी।
कुरियन ने कहा, “आपको (कांग्रेस और वाम दलों को) देश की रक्षा करने वाले जवानों से कहना चाहिए कि भारत माता की जरूरत नहीं है।”
यह पूछे जाने पर कि भारत माता का कौन-सा चित्र सही है-तिरंगे वाला या भगवा झंडे वाला-कुरियन ने कहा, “आप जो चाहें उसे ले लें।”
केंद्रीय मंत्री ने सवाल किया कि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर जिस चित्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, उससे उन्हें क्या समस्या है।
कुरियन ने कहा कि तिरंगे से पहले भारत में जिस झंडे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता था, वह शिवाजी का झंडा था। उन्होंने पूछा, “ऐसे में अगर वह झंडा फहराया जाता है, तो इसमें क्या गलत है? क्या यह असंवैधानिक है?”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अदालतों में न्याय की देवी एक यूनानी देवी है और अगर इसे लेकर कोई समस्या नहीं है, तो “भारत माता को लेकर क्यों आपत्ति है?”
केरल में ‘भारत माता’ विवाद उस समय शुरू हुआ, जब राज्यपाल ने राजभवन में पर्यावरण दिवस कार्यक्रम में भारत माता का वह चित्र प्रदर्शित किया, जो आमतौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में देखा जाता है।
इसके चलते राज्य के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया था और राज्यपाल ने कहा था कि भारत माता के मुद्दे पर कोई “समझौता” नहीं किया जाएगा।
तब से आर्लेकर राजभवन में आयोजित सभी कार्यक्रमों में इस चित्र को प्रदर्शित कर रहे हैं, जिसमें स्काउट और गाइड को प्रमाण पत्र देने से जुड़ा कार्यक्रम भी शामिल है। इसके चलते राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी इस कार्यक्रम से बाहर चले गए थे।
केरल के मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों ने कहा है कि सरकारी कार्यक्रमों में केवल आधिकारिक या अधिकृत प्रतीकों, चिह्नों या चित्रों का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
भाषा पारुल नरेश
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