मुंबई, 27 जून (भाषा) भारत ने जनवरी-मार्च तिमाही में 13.5 अरब डॉलर का चालू खाता अधिशेष दर्ज किया जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.3 प्रतिशत है। एक साल पहले की समान अवधि में यह 4.6 अरब डॉलर था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 की मार्च तिमाही में चालू खाता बढ़ने की मुख्य वजह सेवाओं के निर्यात में वृद्धि और विदेश से भेजे जाने वाले धन में बढ़ोतरी रही।
हालांकि सालाना आधार पर देश का चालू खाता 2024-25 के दौरान 23.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.6 प्रतिशत) घाटे में रहा।
किसी देश के चालू खाते से यह पता चलता है कि संबंधित देश को निर्यात से कितनी आय हुई और उसने आयात पर कितना खर्च किया। इसके अलावा निवेश से आय और धनप्रेषण से जुड़े लेन-देन भी इसमें शामिल होते हैं।
आरबीआई ने ‘2024-25 की चौथी तिमाही के दौरान भारत का भुगतान संतुलन’ रिपोर्ट में कहा, ‘भारत के चालू खाता में 2024-25 की चौथी तिमाही के दौरान 13.5 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.3 प्रतिशत) का अधिशेष दर्ज किया गया, जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में यह 4.6 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.5 प्रतिशत) था। वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 11.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) का घाटा था।’
भुगतान संतुलन देश के बाहरी भुगतान परिदृश्य का एक संकेतक है।
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 59.5 अरब डॉलर का वस्तु व्यापार घाटा हुआ जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में यह 52 अरब डॉलर था।
हालांकि, वस्तु व्यापार घाटा 2024-25 की तीसरी तिमाही के 79.3 अरब डॉलर के मुकाबले कम रहा।
शुद्ध सेवा प्राप्तियां बढ़कर 2024-25 की चौथी तिमाही में 53.3 अरब डॉलर हो गईं जो एक साल पहले की समान अवधि में 42.7 अरब डॉलर थीं।
व्यावसायिक सेवाओं और कंप्यूटर सेवाओं जैसी प्रमुख श्रेणियों में सेवा निर्यात में सालाना आधार पर वृद्धि हुई है।
व्यक्तिगत अंतरण प्राप्तियां 2024-25 की चौथी तिमाही में बढ़कर 33.9 अरब डॉलर हो गईं, जो 2023-24 की चौथी तिमाही में 31.3 अरब डॉलर थीं।
आरबीआई ने कहा कि प्राथमिक आय खाते पर शुद्ध व्यय चौथी तिमाही में 11.9 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की समान तिमाही में 14.8 अरब डॉलर था।
वित्तीय खाते में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) ने आलोच्य अवधि में 40 करोड़ डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया, जबकि 2023-24 की इसी अवधि में 2.3 अरब डॉलर का निवेश आया था।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) ने मार्च तिमाही में 5.9 अरब डॉलर की शुद्ध निकासी की जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 11.4 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह हुआ था।
समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार में 8.8 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई जबकि 2023-24 की चौथी तिमाही में 30.8 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में भुगतान संतुलन पर कहा कि इस अवधि में भारत का चालू खाता घाटा 23.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.6 प्रतिशत) रहा जो वित्त वर्ष 2023-24 के 26 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.7 प्रतिशत) से कम है।
पिछले वित्त वर्ष में एफडीआई के तहत एक अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह आया जो 2023-24 के दौरान आए 10.2 अरब डॉलर एफडीआई से कम है।
वित्त वर्ष 2024-25 में एफपीआई ने 3.6 अरब डॉलर का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया, जो एक साल पहले के 44.1 अरब डॉलर से कम है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने इन आंकड़ों पर कहा कि चालू खाता अपेक्षा के अनुरूप चौथी तिमाही में मौसमी अधिशेष की स्थिति में रहा लेकिन प्राथमिक आय निकासी में आश्चर्यजनक गिरावट के बीच इसका आकार उम्मीद से अधिक रहा।
हालांकि नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में चालू खाता वस्तु व्यापार घाटे में वृद्धि और सेवा व्यापार अधिशेष में कमी के अनुमानों को देखते हुए घाटे की स्थिति में आ जाएगा।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
रमण