कोट्टायम (केरल), 27 जून (भाषा) केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) की प्रमुख सहयोगी केरल कांग्रेस (एम) ने शुक्रवार को उन अटकलों को खारिज किया कि उसने कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के साथ भावी गठबंधन को लेकर चर्चा की है।
पार्टी अध्यक्ष जोस के. मणि ने कहा कि यूडीएफ द्वारा पार्टी के विस्तार की हालिया चर्चा गठबंधन के भीतर अविश्वास से उपजा है।
नीलांबुर उपचुनाव में यूडीएफ की जीत पर टिप्पणी करते हुए मणि ने कहा कि इसे यूडीएफ के पक्ष में राजनीतिक जनादेश के रूप में नहीं समझा जा सकता।
मणि ने कहा, ‘‘ नीलांबुर एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां यूडीएफ की गहरी जड़ें हैं, वहां का फैसला किसी भी तरह से एलडीएफ द्वारा शासन जारी रखने की संभावना को प्रभावित नहीं करता है।’’
उन्होंने कहा कि एलडीएफ विनम्रतापूर्वक जनता के फैसले को स्वीकार करेगा तथा सरकार तथा गठबंधन दोनों के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए काम करेगा।
उनकी यह टिप्पणी स्थानीय निकाय चुनावों के अगले दौर से पहले गठबंधनों में संभावित बदलावों के बारे में राजनीतिक हलकों में बढ़ती चर्चा के बीच आई है।
केरल कांग्रेस (एम) 2020 में यूडीएफ से अलग होकर एलडीएफ में शामिल हो गई थी जिससे राज्य में एक बड़ा राजनीतिक बदलाव हुआ।
तब से पार्टी ने सत्तारूढ़ मोर्चे के भीतर सक्रिय भूमिका निभाई है, विशेष रूप से किसानों और उच्च वर्गीय समुदायों से संबंधित मुद्दों पर।
मणि ने पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले किसानों और लोगों की दीर्घकालिक चिंताओं का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन की भी घोषणा की।
उन्होंने कहा कि पार्टी निष्कर्षों के आधार पर एक विस्तृत घोषणापत्र तैयार करेगी और उसे एलडीएफ को सौंपेगी।
बैठक में पार्टी नेताओं ने जंगली जानवरों के हमलों, भूमि स्वामित्व के दस्तावेजों और रबर के समर्थन मूल्य जैसे मुद्दों पर भी कार्रवाई का आह्वान किया।
मणि ने कहा कि जंगली जानवरों के हमलों का स्थायी समाधान खोजने में मुख्य बाधा 1972 का वन्यजीव संरक्षण अधिनियम है, जिसे उस समय लागू किया गया था जब केंद्र में कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी।
मणि ने मांग की कि रबर का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 250 रुपये प्रति किलोग्राम किया जाए तथा कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी पेंशन में वृद्धि की जाए।
भाषा शोभना धीरज
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