नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) संसद की एक स्थायी समिति की बैठक में शुक्रवार को बांग्लादेश की पाकिस्तान और चीन के साथ कथित तौर पर बढ़ती निकटता और अपने पूर्वी पड़ोसी के साथ भारत के तनावपूर्ण संबंधों के असर को लेकर चर्चा की गई और इस दौरान कुछ विशेषज्ञों के सुझाव भी लिए गए। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
विदेश मामलों संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने बताया कि समिति की बैठक में पूर्व विदेश सचिव और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन, बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त रीवा गांगुली दास और जाने-माने शिक्षाविद अमिताभ मट्टू विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित हुए और उन्होंने बहुत अच्छे सुझाव और विचार साझा किए।
बांग्लादेश से घुसपैठ के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि समिति के सामने जो एक आंकड़ा आया है, उससे पता चलता है कि इसकी संख्या कम हुई है।
बैठक में शामिल एक सांसद ने कहा कि कुछ सदस्यों ने पिछले साल शेख हसीना के सत्ता से अपदस्थ होने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश के साथ संबंधों में तनाव के बारे में चिंता व्यक्त की।
सूत्रों के मुताबिक, एक विशेषज्ञ ने कहा कि बांग्लादेश में युवाओं के कट्टरपंथी विचारधारा के प्रभाव में आने की चिंता के बावजूद इसकी सेना पाकिस्तान की तरह चरमपंथी नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि कुछ सांसदों ने यह विषय उठाया कि चीन बांग्लादेश में पैर जमा रहा है। भारत के लिए बांग्लादेश रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में यह और भी ध्यान देने योग्य विषय है कि पाकिस्तान भी बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
भाषा हक दिलीप
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