नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) दिल्ली सरकार ने अगले दो वर्षों के भीतर यमुना नदी का पुनरुद्धार करने के लिए एक व्यापक 45-सूत्रीय कार्य योजना शुरू की है, जिसमें जलमल उपचार और नदी में बहने वाले नालों को रोकने की चुनौतियों से निपटने के लिए कई एजेंसियों की भागीदारी होगी। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा अनुमोदित इस योजना को मुख्य रूप से दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग तथा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यमुना सफाई एवं पुनरुद्धार के लिए चल रही परियोजनाओं तथा नई योजनाओं एवं परियोजनाओं को 10 कार्य मद के अंतर्गत विशिष्ट समय-सीमाओं के साथ एक साथ रखा गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इस महत्वाकांक्षी कार्ययोजना को इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई दिल्ली जल बोर्ड की बैठक में मंजूरी दी गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि इस योजना में मुख्य रूप से जलमल उपचार प्रबंधन, नालों को बंद करना, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तूफानी जल प्रबंधन और यमुना नदी में प्रवाह बढ़ाना जैसे प्रमुख परियोजनाएं शामिल हैं।
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यमुना नदी के कुल प्रदूषण में दिल्ली का योगदान 76 प्रतिशत है, जबकि इसकी लंबाई में दिल्ली का हिस्सा मात्र दो प्रतिशत है।
तीन एसटीपी- कोरोनेशन पिलर, यमुना विहार और ओखला (मलजल शोधन संयंत्र) एसटीपी- से नदी में प्रवाह बढ़ाने के लिए डीजेबी को एक संवहन प्रणाली बनानी होगी।
अधिकारियों ने बताया कि नदी में प्रवाह बनाए रखने के लिए उपचारित पानी को वापस नदी में डालना अनिवार्य है। इस काम की समयसीमा सितंबर 2026 है। उन्होंने दावा किया कि ओखला एसटीपी एशिया में इस तरह का सबसे बड़ा एसटीपी है।
दिल्ली में यमुना 52 किलोमीटर तक बहती है, जिसमें से वजीराबाद से ओखला तक का 22 किलोमीटर का महत्वपूर्ण हिस्सा अत्यधिक प्रदूषित है और यह विभिन्न योजनाओं और नीतिगत प्रयासों का केन्द्र बिन्दु बन गया है।
यमुना की सफाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के सबसे प्रमुख वादों में से एक है और नई सरकार के पहले बजट में जल एवं सीवरेज क्षेत्र को 9,000 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा हिस्सा दिया गया है।
भाषा धीरज सुरेश
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