नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) मशहूर गायिका आशा भोसले का कहना है कि उनके पति दिवंगत संगीतकार आरडी बर्मन अपने संगीत के साथ हमेशा अनूठे प्रयोग करते थे और उन्हें गाना गाने के नये तरीके खोजने के लिए प्रोत्साहित करते थे।
‘महबूबा ओ महबूबा’, ‘गुलाबी आंखें’ और ‘मेरा कुछ सामान’ जैसे यादगार गानों का संगीत तैयार करने वाले आरडी बर्मन की 86वीं जयंती शुक्रवार को मनाई गई।
आरडी बर्मन से 1980 में शादी रचाने वाली आशा ने कहा कि दिवंगत संगीतकार ने उन्हें बहुत प्रोत्साहित किया। हालांकि, दोनों बाद में अलग हो गए, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे के प्रति सम्मान बनाए रखा।
आशा ने कहा, “उनका (आरडी बर्मन) संगीत उनकी प्रेरणा था। वह उसके साथ कुछ नया करते थे। वह मुझसे कुछ अलग करने को कहते थे; जैसे अपनी आवाज बदलना। और उन्होंने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। वह उन गानों में मेरी मदद करते थे।”
आशा के मुताबिक, उन्होंने आरडी बर्मन के लिए 840 से अधिक गाने गाए, जिनमें ‘ये वादा रहा’, ‘जाने जान ओ मेरी जाने जान’ और ‘कतरा कतरा’ शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “मैं उन्हें कई वर्षों से जानती थी। मैंने उनके साथ काम किया था और उनके लिए कई गाने गाए थे। मुझे लगता है कि मैंने उनके लिए 840 गाने गाए।”
आशा ने कहा, “50 साल पुराने गाने आज भी लोगों को पसंद आते हैं। हर कोई मुझसे कहता है कि उन्हें नया संगीत चाहिए, लेकिन लोग वही पुराने गाने गाते हैं और बच्चे भी वही पुराने गाने गुनगुनाते हैं।”
आरडी बर्मन का 1994 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। उस समय वह 54 साल के थे।
आरडी बर्मन का संगीत करियर 1966 में प्रदर्शित शम्मी कपूर अभिनीत फिल्म ‘तीसरी मंजिल’ से परवान चढ़ा था। इससे पहले उन्होंने चार फिल्मों में संगीत दिया था, लेकिन इनमें से कोई भी सफल नहीं हुई और न ही इनके गाने लोगों की जुबान पर छा सके।
‘तीसरी मंजिल’ को उसके रोमांटिक नगमों से लेकर रॉक संगीत पर आधारित गानों के लिए याद किया जाता है। इस फिल्म ने न सिर्फ हिंदी फिल्म संगीत की सारी परंपराएं तोड़ीं, बल्कि आरडी बर्मन की शानदार प्रतिभा पर भी मुहर लगाई।
‘तीसरी मंजिल’ के ‘ओ हसीना जुल्फों वाली’, ‘ओ मेरे सोना रे सोना रे’, ‘आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा’, ‘दीवाना मुझसा नहीं’ और ‘तुमने मुझे देखा’ जैसे सुपरहिट गाने आज भी लोगों की यादों में ताजा हैं। इन गानों ने बॉलीवुड फिल्मों के लिए तैयार किए जाने वाले गानों को नया स्वरूप प्रदान किया।
भाषा पारुल दिलीप
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