मुंबई, 27 जून (भाषा) कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संविधान की जगह मनुस्मृति लाने के अपने लंबे समय से जारी एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
वह आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले की इस मांग पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे कि संविधान की प्रस्तावना से ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को हटा दिया जाना चाहिए।
आपातकाल पर बृहस्पतिवार को आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए होसबाले ने कहा था, ‘‘बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द नहीं थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिये गए, संसद काम नहीं कर रही थी, तभी ये शब्द जोड़े गए थे।’’
सपकाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ऐसे बयान अलग-थलग नहीं हैं, बल्कि संघ परिवार द्वारा लगातार किये जा रहे वैचारिक प्रयास का हिस्सा हैं। आरएसएस और भाजपा ने डॉ. बी आर आंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान को सही मायने में कभी स्वीकार नहीं किया। संविधान के स्थान पर मनुस्मृति को लागू करने का उनका एजेंडा हमेशा से स्पष्ट रहा है। होसबाले की मांग उस एजेंडे की एक और पुष्टि है।’’
सपकाल ने दावा किया, ‘‘2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान, भाजपा नेताओं ने खुलेआम कहा था कि अगर वे 400 सीटें जीतते हैं, तो वे संविधान बदल देंगे। यहां तक कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी संविधान की समीक्षा की मांग की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आर्थिक सलाहकार रहे बिबेक देबरॉय ने भी संविधान में संशोधन के विचार का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया था। इनमें से किसी भी टिप्पणी को भाजपा ने खारिज नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘संघ और भाजपा नेता भ्रम पैदा करने के उद्देश्य से भ्रामक बयान जारी कर रहे हैं। यह हमारे लोकतंत्र के आधारभूत मूल्यों को खत्म करने की सोची-समझी चाल का हिस्सा है। भारत की पहचान विविधता में एकता है, यही बात आरएसएस-भाजपा गठबंधन को परेशान करती है।’’
सपकाल ने दावा किया कि आरएसएस-भाजपा का असली एजेंडा ‘‘हिंदू, हिंदी और हिंदू राष्ट्र’’ के इर्द-गिर्द घूमता है।
भाषा सुभाष धीरज
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