मुंबई, 27 जून (भाषा) महाराष्ट्र सरकार में मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य करने की नीति को महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के तहत तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यकाल के दौरान मंजूरी दी गई थी।
राज्य के मराठी भाषा मंत्री सामंत ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान यह भी दावा किया कि मौजूदा सरकार ने राज्य में कहीं भी हिंदी नहीं थोपी है और न ही इसे अनिवार्य बनाया है।
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने की नीति को महा विकास आघाडी सरकार के कार्यकाल के दौरान मंजूरी दी गई थी, जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति ने कक्षा एक से 12 तक तीन भाषाओं- मराठी, अंग्रेजी और हिंदी- की शिक्षा अनिवार्य करने की सिफारिश की थी। इस प्रस्ताव को ठाकरे के नेतृत्व वाले राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।’’
हालांकि, शिवसेना (उबाठा) के प्रवक्ता हर्षल प्रधान ने पलटवार करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने माशेलकर समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर ली थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह इसके सभी प्रावधानों को लागू करने पर सहमत हो गई थी।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने नवंबर 2019 से जून 2022 तक राज्य पर शासन किया।
सामंत ने शिवसेना (उबाठा) पर निशाना साधते हुए कहा कि राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने त्रिभाषा फार्मूले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है और शिवसेना (उबाठा) भी इसमें शामिल हो रही है।
उन्होंने कहा कि मनसे और शिवसेना (उबाठा) के एक साझा मुद्दे पर एक साथ आने का मतलब यह नहीं है कि वे नगर निकाय चुनावों के लिए गठबंधन करेंगे।
दोनों दल पांच जुलाई को मुंबई में अपना साझा विरोध प्रदर्शन करेंगी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि हिंदी वैकल्पिक भाषा होगी, जबकि मराठी अनिवार्य है।
भाषा रवि कांत सुरेश
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