चंडीगढ़, 27 जून (भाषा) ऑनलाइन बाल यौन शोषण के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पंजाब पुलिस के साइबर अपराध प्रभाग ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है और विभिन्न ऑनलाइन मंचों के माध्यम से बाल यौन शोषण एवं अपमानजनक सामग्री (सीएसईएएम) को देखने, प्रसारित करने और वितरित करने के 33 संदिग्ध आरोपियों की पहचान की है। अधिकारियों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने बताया कि गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से प्राप्त गुप्त सूचना के आधार पर बृहस्पतिवार को 18 जिलों और तीन आयुक्तालयों में 40 स्थानों पर ‘सीएसईएएम-4’ अभियान चलाया गया।
पंजाब पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सीएसईएएम सामग्री को देखना, रखना और इस तरह की सामग्री की रिपोर्ट न करना यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
इसमें कहा गया है कि सीएसईएएम में कोई भी ऐसी मीडिया सामग्री (वीडियो, चित्र या इस तरह की अन्य सामग्री) या उसका स्वरूप शामिल है जिसमें नाबालिगों का यौन शोषण दर्शाया गया हो। ऐसी सामग्री को तैयार करना, उसका वितरण करना या उसे अपने पास रखना अवैध है और पीड़ितों पर इसके दीर्घकालिक मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण इसे बाल शोषण के सबसे गंभीर रूपों में से एक माना जाता है।
अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान खन्ना के राजस्थानी कॉलोनी निवासी आकाश बाबू और रूपनगर जिले के बरमाजरा गांव के हरप्रीत सिंह के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ आगे की कार्यवाही की जा रही है।
यादव ने कहा कि राज्य साइबर अपराध प्रकोष्ठ ने संदिग्धों की पहचान करने के लिए व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम जैसे मंचों पर मौजूद डिजिटल साक्ष्य का विश्लेषण किया गया।
भाषा रंजन संतोष
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