इटावा, 27 जून (भाषा) उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार को एक गैर-ब्राह्मण कथा वाचक और उसके सहयोगी पर कथित जाति-आधारित हमले और सिर मुंडवाने से संबंधित दो मामलों की जांच इटावा से झांसी स्थानांतरित कर दी।
पुलिस ने मामले की “संवेदनशीलता” का हवाला देते हुए यह कार्रवाई की।
यह घटनाक्रम इटावा के बकेवर क्षेत्र के दंदरपुर गांव में असहज स्थिति के बीच हुआ है।
यहां एक दिन पहले प्रदर्शनकारियों के एक समूह (जिन्होंने कथा वाचक और उसके सहयोगी के खिलाफ मामला वापस लेने की मांग की थी) और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई थी। झड़प के दौरान अज्ञात लोगों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया, जबकि कुछ अधिकारियों ने स्थानीय बकेवर पुलिस थाने की घेराबंदी कर रहे आक्रामक प्रदर्शनकारियों को पीछे हटाने के लिए हवा में अपनी बंदूकें लहराईं। पुलिस ने करीब 20 लोगों को हिरासत में लिया था।
अपर पुलिस महानिदेशक (कानपुर जोन) आलोक सिंह ने शुक्रवार को मामलों को स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
पुलिस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘पुलिस स्टेशन बकेवर, इटावा से संबंधित घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए अपर पुलिस महानिदेशक, कानपुर जोन, कानपुर द्वारा मामलों की जांच तत्काल प्रभाव से झांसी रेंज, झांसी को स्थानांतरित की जाती है।’’
धार्मिक उपदेशक मुकुट मणि यादव और उनके सहायक संत सिंह यादव ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ( बीएनएस ) धारा 115 (2), 309 (2), और 351 (1)/352 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, डकैती और आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज कराया था। इसके विपरीत, दोनों के खिलाफ जवाबी प्राथमिकी दर्ज की गई जिसमें बीएनएस धारा 299, 318 (4), 319 (2), 336 (3), 338 और 340 (2) के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, प्रतिरूपण, धोखाधड़ी और जालसाजी जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।
व्यापक विरोध और बढ़ते राजनीतिक तापमान के बाद इटावा के ग्रामीण इलाकों, खासकर बकेवर क्षेत्र के दंदरपुर में तनाव बना हुआ है।
इस सप्ताह की शुरुआत में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प के बाद गांव में दहशत का माहौल है। बड़ी संख्या में लोग अपने घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां शरण ले चुके हैं।
पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) श्रीश चंद्र ने बताया, ‘स्थिति अब नियंत्रण में है।’ शांति सुनिश्चित करने के लिए गांव और उसके आसपास तथा सभी प्रवेश बिंदुओं पर पर्याप्त बल तैनात किया गया है।
इस बीच, लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की पिछली समाजवादी पार्टी सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की अनदेखी की और राजनीतिक लाभ के लिए राज्य को जाति-आधारित संघर्षों और भाई-भतीजावाद में फंसाए रखा।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘2017 से पहले उप्र दंगों, माफिया नेटवर्क और बेटियों और व्यापारियों के लिए सबसे असुरक्षित राज्यों में से एक के रूप में जाना जाता था। पिछली सरकारों की एकमात्र उपलब्धि जातिगत संघर्षों को भड़काना और परिवार के शासन की आड़ में प्रति जिले एक माफिया को बढ़ावा देना था।’
आदित्यनाथ की सपा पर तीखी लेकिन अप्रत्यक्ष टिप्पणी अखिलेश यादव की सोशल मीडिया पर की गई तीखी टिप्पणियों के बाद आई है, जिसमें उन्होंने इटावा की घटना की कड़ी निंदा की और इसे उत्तर प्रदेश में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा बताया।
यादव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ भाजपा जाति-आधारित संघर्ष को भड़काने के लिए पड़ोसी राज्यों से “रणनीतिक उपनामों” के साथ “प्लांट किए गए तत्वों” को भेज रही है।
यादव ने दावा किया, “भाजपा अपने सेट किये हुए ‘प्लांटेड लोगों’ के उपनाम का दुरुपयोग करके उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों से लोगों को लाकर, समाज को बांटनेवाली जो ‘घुसपैठिया राजनीति’ प्रदेश में कर रही है, उसका सच बच्चा-बच्चा जानता है।’’
अपनी पार्टी के पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) के नारे के तहत समर्थन जुटाते हुए यादव ने कहा कि इटावा की घटना हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए एक रैली का बिंदु बन गई है। उन्होंने कहा, ‘पूरा पीडीए समाज ‘इटावा पीडीए अपमान घटना’ के हर पीड़ित के साथ खड़ा है।’
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन बदला लेने के लिए नहीं बल्कि सामाजिक मानसिकता में बदलाव के लिए है।
विवाद के बीच, उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में जाति के आधार पर कथा वाचकों की कथित पिटाई और दुर्व्यवहार के मामले में काशी विद्वत परिषद ने शुक्रवार को कहा कि भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिंदुओं को है।
इटावा जिले के दंदारपुर गांव में 22-23 जून की दरमियानी रात को भागवत कथा करने वाले दो वाचकों मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत सिंह यादव का कथित तौर पर ‘ऊंची जाति’ के लोगों ने मुंडन कर दिया और उन्हें अपमानित किया गया था।
कथा वाचकों के यादव जाति के होने से मामले को लेकर सूबे की सियासत गर्मा गयी।
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने मामले पर कहा कि भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिन्दुओं को है।
द्विवेदी ने कहा, “हमारी सनातन परम्परा में ऐसे तमाम गैर ब्राह्मण लोग हुए हैं, जिनकी गणना ऋषि के रूप में की गयी है। इनमें चाहे महर्षि वाल्मीकि, वेदव्यास हों या रविदास हों, सनातन परम्परा में सभी को सम्मान और आदर प्राप्त हुआ है।”
उन्होंने कहा, “भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिन्दुओं को है और किसी भी हिन्दू को इससे रोका नहीं जा सकता।”
द्विवेदी ने कहा, “जो शास्त्रों को जानते हैँ, भक्ति भाव, सत्यनिष्ठ, ज्ञानवान और जानकार हैं, उन्हें कथा कहने का अधिकार है, जो ज्ञानी है, वही पंडित या ब्राह्मण कहलाने का अधिकारी है।”
उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनितिक लाभ के लिए हिन्दुओं को आपस में लड़ाना चाहते हैं, हिन्दुओं को इस बात को समझना चाहिए और आगे इस तरह की गलती नहीं दोहराई जानी चाहिए।
संपूर्णनंद संस्कृत विविद्यालय के कुलपति प्रोफसर बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि कथावाचन के लिए शास्त्रों में जाति के आधार पर कोई भेद नहीं है।
उन्होंने कहा कि कोई भी योग्य व्यक्ति कथा वाचन कर सकता है और ज्ञान का जाति के आधार पर कोई भेद नहीं है।
शर्मा ने कहा, “ज्ञान सबको एक समान देखता है। सभी में ईश्वर का वास है इसलिए सभी एक समान है। किसी में कोई भेद नहीं है। जिनका आचरण शुद्ध है, जिन्हें शास्त्रों का ज्ञान है, वे सभी ब्राह्मण हैं। ”
भाषा सं जफर आनन्द शोभना
शोभना